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८ विकास महोत्सव : आधार - पत्र
आचार्य भिक्षु ने तेरापंथ में नए आयाम उद्घाटित किए, जिससे इतिहास में नए अध्याय का सृजन हुआ। आज से एक सौ तीस वर्ष पूर्व तेरापंथ के भाग्यविधाता जयाचार्य ने तेरापंथ की भाग्यलिपि में कुछ नए अक्षर लिखे मर्यादा व्यवस्था और अनुशासन में रहने वाला संघ ही नया विकास, नया विश्वास पैदा कर सकता है। उसके सामने विकास का असीम अवकाश है । पदार्थ असीम नहीं होता, अध्यात्म जैसा शाश्वत तत्त्व ही असीम हो सकता है । एक सौ तीस वर्ष बाद महोत्सव की श्रृंखला में एक नई कड़ी जुड़ रही है - विकास महोत्सव की । किसी संघ में मर्यादा का महोत्सव मनाया जाता है, विकास का महोत्सव मनाया जाता है, हमने नहीं सुना । हमारे संघ की नियति ही शुभ है। यहां अध्यात्म और विकास के नए-नए आयाम खुलते जा रहे हैं और भविष्य में खुलते रहेंगे।
अब तक हम मर्यादा महोत्सव, भिक्षु चरमोत्सव और वर्तमान आचार्य का पट्टोत्सव - ये तीन महोत्सव मनाते रहे हैं । आज से इसी क्रम विकास महोत्सव जुड़ रहा है । पूज्य गुरुदेव के पट्टोत्सव का दिन अब से विकास - महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा । पूज्य गुरुदेव ! तेरापंथ है, तब तक विकास - महोत्सव मनाया जाता रहेगा । इसका आधार हमारा विकास महोत्सव का परिपत्र है । उसमें विकास - महोत्सव की पृष्ठभूमि, उद्देश्य और आधारभूत तत्त्वों की प्रस्तुति है ।
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परिपत्र की भाषा
'धर्म - शासन की शक्ति का उन्नयन हो, यह गण के प्रत्येक सदस्य का पवित्र मनोरथ होना चाहिए । शक्ति का उन्नयन विकास की प्रक्रिया के
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