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________________ नई भूमिका : नए संकल्प ७ अधिक वरीयता मैं देना चाहता हूं मानसिक समस्या सुलझाने को। मैं अपनी और अपने धर्मसंघ की पूरी शक्ति का इस कार्य में नियोजन करना चाहता हूं। (पूज्य गुरुदेव ने टिप्पणी की-यदि यह समस्या सुलझ जाए तो समस्या रह ही नहीं जायेगी) गुरुदेव ने बिल्कुल ठीक कहा कि प्राथमिकता दी जा रही है गरीबी को, जबकि प्राथमिकता देनी चाहिए चरित्र को, मानसिक स्वास्थ्य को, जिनके आधार पर गरीबी पनप रही है और चल रही है। गरीबी चरित्रहीनता की ही तो उपज है। मानव जाति के लिए एक और आशीर्वाद मैं आपसे चाहता हूं।. उसे चाहे आप मेरी नीति की घोषणा समझें या कुछ और। वह यह १. मानसिक समस्याओं को सुलझाने में, २. अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय करने में, ३. अध्यात्मनिष्ठ साम्यवादी समाज व्यवस्था के द्वारा स्वस्थ समाज की रचना करने में___मैं अपनी शक्ति और अपने धर्मसंघ की शक्ति का नियोजन करूं, यह आशीर्वाद आप मुझे प्रदान करें। समाज से कट कर हम चल नहीं सकते। हमारा विश्वास एकान्त में नहीं, अनेकान्त में है। जितनी अच्छी समाज-व्यवस्था, उतना अच्छा चरित्र का विकास। जितना अच्छा चरित्र, उतनी अच्छी समाज की व्यवस्था। इन दोनों का एक योग है, जिसे कभी अलग नहीं किया जा सकता। यही हमारा मुख्य कार्य रहेगा। हमारा दृष्टिकोण, जो व्यापक बना है, कभी संकुचित नहीं होगा। तेरापंथ धर्मसंघ का असाम्प्रदायिक व्यापक दृष्टिकोण और पूरी मानवजाति के लिए निर्धारित उसका कार्यक्रम, जैसा गुरुदेव द्वारा प्रदत्त है, वैसा ही चलेगा। मुझे आशीर्वाद दें कि उसमें कुछ और जोड़ सकूँ, उसमें कुछ और निखार ला सकूँ। धर्मसंघ की अपेक्षाएं हमारे धर्मसंघ को आज कुछ अपेक्षाएं हैं १. चित्त-समाधि २. सेवा और श्रम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003064
Book TitleAtit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages242
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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