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________________ अनुशासन के मंत्रदाता : जयाचार्य १३७ अनुपालन। उसका दूसरा अर्थ है-दायित्व-बोध। पहला अर्थ बहुत विवादास्पद है। उसी का आदेश मान्य हो सकता है जिसमें क्षमता, समता और ममता की त्रयी विद्यमान हो। कोई बड़ा-बूढ़ा है और मुखिया बना हुआ है, इसीलिए उसका आदेश उचित है, यह प्रश्न बहुत प्रबुद्ध मानस को झकझोरे बिना नहीं रहता। पहले अर्थ में यदि अनुशासन की मांग है तो वह केवल पुरानी पीढ़ी की मांग है। वह नयी पीढ़ी की मांग नहीं हो सकती। अनुशासन की मांग पुरानी और नयी-दोनों पीढ़ियों की समस्वर में होनी चाहिए। अनुशासन पुरानी पीढ़ी के लिए भी जरूरी है और नयी पीढ़ी के लिए भी जरूरी है। यह अपने-अपने लिए जरूरी है, एक-दूसरे के लिए जरूरी नहीं है। ___जयाचार्य ने इस सचाई पर बहुत बल दिया कि जिसे अनुशासन की प्रतिष्ठा करनी हो, उसे स्वयं अनुशासित होना चाहिए। आदमी कहने से जितना नहीं सीखता उतना व्यवहार और आचरण से सीखता है। बड़े-बूढ़ों का आचरण और व्यवहार यदि अनुशासित होता है तो नयी पीढ़ी को अनुशासन की प्रेरणा देने की बहुत आवश्कयता नहीं है। वह उसे स्वयं सीख जाती है। किन्तु आश्चर्य है कि जो स्वयं अनुशासन से दूर रहकर बच्चों में अनुशासन लाना चाहते हैं वे इस सचाई को भूल जाते हैं कि बच्चे तुम्हारी बात कम मानेंगे, तुम्हारे व्यवहार को ज्यादा मानेंगे। जयाचार्य की दृष्टि में अनुशासन वही कर सकता है • जो समय पर मौन रहना जानता है और समय पर बोलना जानता है। • जो क्षमा करना भी जानता है और आंख दिखाना भी जानता है। सभ्य और प्रगतिशील समाज के दो लक्षण होते हैं-अनुशासन और विनम्रता। क्रोध और अंहकार-ये मानवीय प्रकृति के स्वाभाविक गुण हैं। ये उच्छृखल होते हैं, तब अनुशासन और विनम्रता का विकास होता है। सही अर्थ में अनुशासन का अर्थ है-अपने-अपने क्रोध और अहंकार का परिष्कार करना। जयाचार्य स्वयं बहुत विनम्र थे। कृतज्ञता और गुणग्राहिता का भाव उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था। उन्होंने अपने विद्यागुरु के प्रति जो विनम्र व्यवहार किया, उसे आदर्श माना जा सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003064
Book TitleAtit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages242
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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