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________________ १६. महावीर को पूजें या समझें ? एक पत्रकार ने पूछा-भगवान् महावीर का पचीस सौवां निर्वाण-दिवस मनाया जा रहा है, आज उसकी उपयोगिता क्या है? महावीर को पचीस सौ वर्ष हुए हैं। पचीस सौ वर्ष के अन्तराल में यदि हमारे सामने यह प्रश्न होता है कि आज क्या उपयोगिता है तो लाखों-लाखों वर्ष हो गए, सूरज की क्या उपयोगिता है? शायद नहीं पूछा। मैं मानता हूं, महावीर की सबसे बड़ी उपयोगिता. यदि है तो आज है। आचार्यश्री तुलसी ने कहा था कि पचीस सौ वर्ष पूर्व महावीर की उतनी उपयोगिता नहीं थी, जितनी उपयोगिता आज है। क्योंकि आज हम महावीर की जन्म-जयन्ती उस स्थिति में मना रहे हैं, जिस स्थिति में हिंसा का विकास हो रहा है। मैं इस बात को पर्याप्त नहीं मानता कि केवल हिंसा का विकास हो रहा है। हिंसा का विकास उस जमाने में भी था जब महावीर ने जन्म लिया था। किन्तु आज की परिस्थिति में और उस जमाने की परिस्थिति में बहत बड़ा मौलिक परिवर्तन मैं देखता हूं और वह अन्तर यह है कि जिस युग में महावीर ने जन्म लिया था, उस युग में हिंसा तो थी परन्तु हिंसा समस्या को सुलझाने का विकल्प नहीं थी। आज सबसे बुरी बात यह हो गई कि आज के हमारे युग ने, आज के विश्व ने और हिन्दुस्तान की घटनाओं ने यह प्रमाणित कर दिया कि वर्तमान समस्याओं को सुलझाने का यदि कोई एकमात्र विकल्प है तो वह है हिंसा। इतनी भयंकर दार्शनिक विकृति और वैचारिक विकृति मुझे किसी युग की चिंतनधारा में देखने को नहीं मिलती, जो आज मिल रही है। ___ आज हमारा विश्वास अहिंसा से उठ गया है। अहिंसा हमारी समस्याओं को सुलझाने का कोई विकल्प है, अहिंसा के द्वारा कोई समस्या सुलझाई जा सकती है, यह धारणा आज नहीं रही है। पुरानी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003064
Book TitleAtit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages242
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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