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. ग शारीरिक, भावना
आभामंडल वर्ण और शब्द प्रकम्पनों के ही स्तर हैं। वे एक-दूसरे में बदले जा सकते हैं। ‘आरोटॉन' मशीन से वर्ण को सुना जा सकता है। सात रंग हैं और सात स्वर हैं। उनका शरीरों पर प्रभाव पड़ता है। रंगों
का शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव पड़ता है। रंग निषेधात्मक है और प्रकाश विध्यात्मक। रंग केवल प्रकाश का ही एक विभागीय हिस्सा है। यह ४६वां प्रकमपन है। एण्डोक्राइन व्यवस्था और चक्र व्यवस्था एक ही है। प्रत्येक एण्डोक्राइन अवयव का अपना रंग है। रंग के आधार पर उसको सक्रिय बनाया जा सकता है। प्रकाश प्रकम्पन है। दृश्य प्रकाश ४स्वां प्रकम्पन है। यही रंग है। दृश्य प्रकाश में जो विभिन्न रंग दृष्टिगोचर होते हैं, वे विभिन्न प्रकम्पनों के आधार पर होते हैं। लाल रंग के एक सेकेण्ड में ४३६ खरब प्रकम्पन होते हैं। वायलेट (बैंगनी) रंग के एक सेकेण्ड में ७३१ खरब प्रकम्पन होते हैं। रंग रोग-निवारण का साधन है, क्योंकि यह शरीर के असंतुलन को ठीक करता है। रंग शरीर का स्वाभाविक भोजन है, क्योंकि जो भोजन वनस्पति जगत् से प्राप्त होता है, वह सघन अवस्था में रंग
ही है। • शरीर के प्रत्येक अवयव को क्रियाशील रखने के लिए विभिन्न रंग
हैं और उनको सुषुप्त रखने के लिए भी अनेक रंग हैं। लाल रंग (Red)
यह अग्नि तत्त्व है। यह नाड़ी-मंडल और रक्त को सक्रिय बनाता
आभामंडल
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