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________________ है। ऐसा कभी नहीं होता कि ध्यान करने वाले में इतनी शक्ति आ जाए कि वह इस जगत् में नाना वर्षों से घटित होने वाली घटनाओं को समाप्त कर दे और वह ऐसा ईश्वर बन जाए जिसके इशारों पर घटनाएं घटें और न घटें। ऐसा कभी संभव नहीं है। ध्यान का यह परिणाम होता है कि जो घटनाएं घटित होती हैं उनके साथ ध्यान-साधक की कल्पना नहीं जुड़ती। संवेदन नहीं जुड़ता। घटना अपने स्थान पर घटित होती है और ध्यान-साधक अपने स्थान पर स्थित होता है। न घटना उसको छू पाती है और न उसका मन घटना का स्पर्श कर पाता है। ध्यान का काम है-विघटन करना, तोड़ना। घटना से मन को तोड़ देना, जो जुड़ा रहता है उसे अलग कर देना। फिर घटना अपने स्थान पर बैठी रहे और मन अपने स्थान पर बैठा रहे। व्यवहार कैसे टूटेगा? व्यवहार टूटता है कल्पनाओं के कारण, संदेहों और संवेदनाओं के कारण। एक परिवार है। उसमें पांच-दस व्यक्ति हैं। सबकी रुचि एक नहीं होती। सबका चिन्तन एक नहीं होता। नाना रुचियां, नाना विचार और नाना चिन्तन। रुचि की भिन्नता के आधार पर एक छोटी-सी घटना घटती है। तनाव पैदा हो जाता है। छोटी बात भी बड़ी बन जाती है, राई का पहाड़ बन जाता है। घटना बड़ी नहीं होती। मैं तो यह मानता हूं कि बड़ी घटना ने आज तक दुनिया को नहीं लड़ाया। जो महायुद्ध हुए हैं, वे भी छोटी-छोटी बातों के लिए हुए हैं। महायुद्ध के लिए बड़ी बातें नहीं होतीं। - चक्रवर्ती भरत ने कहा-'बाहुबली को मेरी आज्ञा माननी होगी।' बाहुबली ने कहा-'बाहुबली किसी की आज्ञा स्वीकार नहीं करता।' दोनों में तनाव पैदा हो गया। बाहुबली आज्ञा न माने तो भरत को क्या कठिनाई हो सकती है? कौन-सा बड़ा अनर्थ हो जाता है? बाहुबली अपने राज्य में बैठा था और भरत अपने राज्य में। किन्तु यह सारा साम्राज्य अहं के आधार पर निर्मित होता है। साम्राज्य यथार्थ के आधार पर निर्मित नहीं होता। अहं ही साम्राज्य का निर्माण करता है। एक व्यक्ति का अहं इतना विस्तृत हो जाता है कि वह साम्राज्य बनाने का प्रयत्न करता २२८ आभामंडल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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