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________________ होता है तब उसके होठ फड़फड़ाने लगते हैं, आंखें तमतमा जाती हैं, भृकुटी तन जाती है, सारा शरीर कांपने लगता है । किन्तु जब आदमी अहंकार करता है, माया करता है, लोभ में होता है तब कुछ भी पता नहीं चलता । शरीर पर इनकी अभिव्यक्ति नहीं होती । यह हमारा अव्यक्त जगत् है । हम अव्यक्त से व्यक्त होते-होते जब क्रोध-चेतना पर आते हैं तब पूरे व्यक्त बन जाते हैं। हम अव्यक्त जगत् से चले और व्यक्त जगत् तक पहुंच गए। हम द्रव्य जगत् से चले और क्रोध की चेतना तक पहुंच गए। हमारे व्यक्तित्व का विस्तार हुआ और हमारा एक-एक पर्याय प्रकट होता चला गया । इसीलिए आगमकारों ने क्रम दिया -क्रोध, मान, माया और लोभ । यह क्रम निरर्थक नहीं है। उन्होंने लोभ, मान, माया, क्रोध - यह क्रम क्यों नहीं रखा? शब्दों का क्रम ऐसे ही नहीं रख दिया जाता। हम गहराई से सोचें तो सचाई का पता लग सकता है। जब हम व्यक्त से अव्यक्त की ओर जाते हैं तब पहले क्रोध आता है । क्रोध से चलेंगे तो अहंकार होगा। क्रोध अहंकार में विलीन हो जाएगा । अहंकार से चलेंगे तो अहंकार माया में विलीन हो जाएगा । माया से चलेंगे तो वह लोभ में विलीन हो जाएगी । तनाव के बारे में मैंने चर्चा प्रारंभ की। उसके कुछेक पहलुओं को आज छुआ है । विस्तृत चर्चा आगे करूंगा । प्रश्न १. भगवान महावीर की भाषा को सब अपने-अपने ढंग से समझ लेते थे । उन ध्वनि तरंगों को समझने का उपाय क्या है? उत्तर - तरंगों को समझने का वही उपाय है जो हम कर रहे हैं । जब तक विचारों और संवेदनों पर नियंत्रण नहीं होगा तब तक तरंगों की भाषा नहीं समझी जा सकेगी। हम इसीलिए लेश्या की चर्चा कर रहे हैं । लेश्या की भाषा तरंगों की भाषा है । जो व्यक्ति लेश्या की भाषा को समझने लग जाता है वह तरंगों की भाषा को समझ सकता है। जब तरंगों की भाषा मन की भाषा में, चित्रों की भाषा में आ जाती है, तब हम उसे समझ सकते हैं । जब चित्रों की भाषा अक्षरों की भाषा में बदल जाती है, तब हम अपनी चेतना को समझ सकते हैं, उसे ग्रहण कर सकते हैं । यदि हमें तरंगों का विकास करना है तो हमें लेश्या जगत् तनाव और ध्यान (१) १३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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