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नहीं होता तो इकोलॉजी के विकास की जरूरत नहीं होती । आज सृष्टि-संतुलन के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं। लोग चाहते हैं-सृष्टि का संतुलन न गड़बड़ाए । किन्तु जब तक अर्थशास्त्र का यह सिद्धान्त व्यक्ति के जीवन-व्यवहार को संचालित कर रहा है तब तक सृष्टि-संतुलन की चिंता को समाधान नहीं मिलेगा। सृष्टि-संतुलन के लिए, पर्यावरण के लिए अर्थशास्त्र की वर्तमान अवधारणाओं को बदलना होगा । उन्हें बदले बिना इन समस्याओं को समाहित नहीं किया जा सकता ।
इच्छा बढ़ाओ, उत्पादन बढ़ाओ, इस गलत अवधारणा के कारण ही वनस्पति जगत् के साथ अन्याय हो रहा है । आज विकास के कृत्रिम साधनों ने प्रकृति के साथ अन्यायपूर्ण और क्रूर बरताव शुरू किया है। इसका विराम कहां होगा, कहा नहीं जा सकता। महावीर का अहिंसा - दर्शन
हम इस सचाई को आचारांग सूत्र के संदर्भ में समझें । आचारांग सूत्र में जिन सचाईयों का उद्घाटन हुआ है, उन्हें वर्तमान में अधिक स्पष्टता से समझा जा सकता है। यही बात आज से हजार वर्ष पूर्व कही जाती तो समझने कुछ कठिनाई होती। आज सारा विश्व उखड़ा हुआ है, समस्या से चिन्तित बना हुआ है। यदि आधुनिक संदर्भ में महावीर वाणी को प्रस्तुत किया जाए, आचारांग सूत्र का विश्लेषण किया जाए तो लगेगा - वर्तमान समस्याओं के अद्भुत समाधान पहली बार हमारे सामने आए हैं। आज महावीर की वाणी और उनका अहिंसा - दर्शन विश्व को लुभावना लग रहा है। लोग चाहते हैं- उफनते हुए दूध पर कोई ठण्डे पानी का छींटा देने वाला मिले। आज आकांक्षा की आग प्रबल बन रही है । उसे शान्त करने के लिए अहिंसा की बात जो वनस्पति जगत् के साथ जुड़ी हुई है, ठण्डे पानी का छींटा डालने वाली बात है।
विषय : आवर्त
आचारांग सूत्र का महत्त्वपूर्ण सूक्त है- जे आवट्टे से गुणे, जे गुणे से आवट्टे-जो विषय है, वह आवर्त है, जो आवर्त है, वह विषय है। इन अर्थशास्त्रीय आकांक्षाओं या विषयों ने इतने आवर्त पैदा कर दिए हैं, इतने भंवर बना दिए हैं कि व्यक्ति का अपनी जीवन की नौका को खेकर पार पहुंचना कठिन हो रहा है । इस भंवर से, आर्वत से बचने वाला ही समस्याओं के चक्रव्यूह को भेदने में सफल हो सकता है। यह इतनी-सी सचाई समझ में आ जाए तो मनुष्य जाति का बहुत बड़ा कल्याण हो सकता है।
3.7 हम अकेले नहीं हैं
पर्यावरण का मौलिक सूत्र
यह
इस विश्व में मैं अकेला नहीं हूं। केवल मेरा ही अस्तित्व नहीं है, पर्यावरण विज्ञान का मौलिक सूत्र है । प्रत्येक व्यक्ति अपने आस-पास सभी दिशाओं
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