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अहिंसा का व्यावहारिक स्वरूप
8. गुणवत्ता पर ध्यान
सुकरात जितना बड़ा तत्त्ववेत्ता था उतना ही कुरूप था। उसका चेहरा भद्दा था फिर भी वह सामने शीशा रखता। बार-बार अपना चेहरा देखता। एक बार वह शीशे के सामने बैठा था। एक आगंतुक व्यक्ति आया। उसने देखा। उससे रहा नहीं गया। कोई सुन्दर आदमी सामने शीशा रखकर मुंह देखे तो समझ में आने वाली बात. है कि वह अपने सौन्दर्य को देख रहा है। सुकरात का इतना भद्दा चेहरा और बारबार शीशा देखता है। उसे हंसी आ गई। सुकरात बहुत बड़ा तत्त्वज्ञानी था, तत्त्वेत्ता था। बात छिपी नहीं रही। उसने कहा, तुम हंसे हो। तुम्हारे मन में यह विचार आया कि मैं शीशा क्यों देखता हूं? उसने सोचा, मेरी बात का इस महान् दार्शनिक को पता चल गया। सुकरात बोले, तुम नहीं समझे। मुझे शीशा देखना बहुत जरूरी है। मैं देखता हूंमेरा यह चेहरा बहुत भद्दा है पर इस भद्देपन के पीछे मेरा जो गुणात्मक सौन्दर्य है वह भद्दा न बन जाए। इसलिए शीशे में मैं रोज झांकता रहता हूं।
हमारे दो चेहरे हैं । एक तो यह चमड़ी वाला चेहरा और दूसरा गुणात्मक चेहरा । जापान आज सारे संसार पर व्यावसायिक और औद्योगिक क्षेत्र में हावी हो रहा है। इसका राज क्या है ? जिस दिशा में समाज का प्रशिक्षण होता है, आदमी उसी दिशा में प्रगतिशील बन जाता है । जापान में गुणवत्ता पर बहुत बल दिया जाता है उद्योग के क्षेत्र में। वहां प्रशिक्षण के कोर्स वर्ष भर चलते रहते हैं। उनमें विद्यार्थी भी आते हैं, मैनेजर भी आते हैं, बड़े-बड़े अधिकारी भी आते हैं और उस कोर्स को दोहराते रहते हैं । बड़े-बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों के बड़े-बड़े संस्थान बने हुए हैं। हर उद्योगपति, हर उद्योग को चलाने वाला मैनेजर-व्यवस्थापक है तो वह क्वालिटी कन्ट्रोलर भी है। वह इस बात का ध्यान रखता है कि हमारे माल की क्वालिटी कैसे है ? कहीं ऐसा न हो कि दुनिया में हमारी क्वालिटी कमजोर बन जाए। क्वालिटी पर और क्वालिटी कन्ट्रोल पर निरन्तर प्रशिक्षण चलता है। उस प्रशिक्षण का परिणाम है- आज जापान औद्योगिक क्षेत्र में, व्यावसायिक क्षेत्र में और अपने माल के निर्यात में संसार पर हावी हुए बैठा है।
क्या कभी हमने सोचा कि अहिंसा के लिए भी क्वालिटी कन्ट्रोल की बात करें? गुणवत्ता की बात करें? शायद नहीं सोचा। फिर कैसे अहिंसा की बात कर पाएंगे? 9. जरूरत है विचार क्रांति की
कुछ लोग हिन्दुस्तान से विदेशों में गए। वे विश्वशांति की यात्रा पर गए। जाने से पूर्व कुछ हमारे पास आए। मैंने जाने वालों से एक प्रश्न पूछा- विश्वशांति की यात्रा पर जा रहे हैं। पहले यह तो बताएं, जो जाने वाले हैं, उन्होंने अहिंसा की कोई ट्रेनिंग ली है? क्या अहिंसा का प्रशिक्षण पाया है ? क्या अहिंसा के प्रति उनका कोई प्रयोग है ? क्या
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