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भगवान महावीर का विहारक्षेत्र
१४३ किन्तु भगवान् महावीर ने साधुओं के विहार के लिए आर्य-क्षेत्र की जो सीमा की, वह उक्त सीमा से छोटी है(१) पूर्व दिशा में
अंग और मगध (२) दक्षिणा दिशा में
कौशाम्बी (३) पश्चिम दिशा में
स्थूणा-कुरुक्षेत्र (४) उत्तर दिशा में
कुणाल देश' इस विहार-सीमा से यह प्रतीत होता है कि जैनों का प्रभाव-क्षेत्र मुख्यतः यही था। महावीर के जीवन-काल में ही सम्भवतः जैन धर्म का प्रभाव-क्षेत्र विस्तृत हो गया था। विहार की यह सीमा तीर्थ-स्थापना के कुछ वर्षों बाद ही की होगी। जीवन के उत्तरकाल में भगवान् महावीर स्वयं अवन्ति (उज्जैन). सिन्धु-सौवीर आदि प्रदेशों में गए थे।
. हरिवंशपुराण के अनुसार भगवान महावीर वाल्हीक (बैक्ट्यिा , बलख), यवन (यूनान), गांधार (आधुनिक अफगानिस्तान का पूर्वी भाग), कम्बोज (पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्त) में गए थे। बंगाल की पूर्वीय सीमा (संभवतः बर्मी सरहद) तक भी भगवान् के विहार की संभावना की जाती है।'
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१. बृहत्कल्प, भाग ३, पृ० ६०५। २. हरिवंशपुराण, सर्ग ३, श्लोक ५। ३. सुवर्णभूमि में कालकाचार्य, पृ० २२ ।
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