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(५) स्पर्श'
१. कृष्ण--- २. नील
३. कापोत
४. तेजस्—
५. पद्म
६. शुक्ल
(६) परिणाम'
१. कृष्ण२. नील
३. कापोत
४. तेजस्—
५. पद्म
गाय की जीभ से अनन्त गुना कर्कश
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१. उत्तराध्ययन, ३४।१८ - १६ । २. वही, ३४।२० ।
३. वही, ३४।२१-२२ ।
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नवनीत से अनन्त गुना मृदु
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जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट
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जघन्य, मध्यम और
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संस्कृति के दो प्रवाह
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उत्कृष्ट
६. शुक्ल -
जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट परिणामों के तारतम्य पर विचार करने से प्रत्येक लेश्या के नौ-नौ परिणाम होते हैं
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१. जघन्य -
जघन्य, मध्यम, उत्कृष्ट जघन्य, मध्यम, उत्कृष्ट
२. मध्यम
३. उत्कृष्ट
जघन्य, मध्यम,
उत्कृष्ट
के
इसी प्रकार सात परिणामों का जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट त्रिक से गुणन करने पर विकल्पों की वृद्धि होती है । जैसे- ९×३ =२७, २७३ ८१, ८१४३ - २४३ । इस प्रकार मानसिक परिणामों की तरतमता के आधार पर प्रत्येक लेश्या के अनेक परिणमन होते हैं । (७) लक्षण
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१. कृष्ण' – मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय और अशुभ योग- इन पांच आस्रवों में प्रवृत्त होना, मन, वचन और काया का संयम न करना, जीव हिंसा में रत रहना, तीव्र आरम्भ में संलग्न रहना, प्रकृति की क्षुद्रता, बिना विचारे काम करना, क्रूर होना और इंद्रियों पर विजय न पाना ।
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