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नए मानव की आचार संहिता अहिंसा की आचार संहिता है। अहिंसा की आचार संहिता अणुव्रत की आचार संहिता है। अणुव्रत की आचार संहिता ही नए मानव की आचार संहिता हो सकती है। प्रेक्षा एक प्रयोग है मानव को उस आचार संहिता में ढालने का। जीवन-विज्ञान एक प्रक्रिया है सिद्धान्त और प्रयोग के समन्वय की। अणुव्रत, प्रेक्षा-ध्यान और जीवन-विज्ञान के द्वारा नए मानव का निर्माण संभव है, प्रस्तुत पुस्तक का प्रतिपाद्य यही है। मानवता का भविष्य श्रम, अर्थ और संयम-इन तीनों ' के सामंजस्यपूर्ण विकास पर निर्भर है। श्रम और अर्थ जीवन के मौलिक पक्ष हैं। संयम जीवन का आध्यात्मिक पक्ष है। शिक्षा अथवा प्रशिक्षण यदि इन तीनों पर आधारित नहीं है तो जीवन की समरसता की कल्पना नहीं की जा सकती। जीवन-विज्ञान के प्रयोग जीवन की समरसता के प्रयोग हैं, मूल्यपरक शिक्षा और योगशिक्षा के समन्वय के प्रयोग हैं। इन प्रयोगों की पृष्ठभूमि जानने के लिए अपेक्षित है प्रस्तुत ग्रन्थ 'नया मानव : नया विश्व'का अध्ययन।
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