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आचार्यश्री तुलसी की उपस्थिति ने शिविर को जो गरिमा दी, वह अपने आप में एक आह्लाद का विषय है । आचार्यवर पूरे शिविरकाल में पुलिस ऐकेडमी के समीपवर्ती 'संजय कॉलोनी' में विराजे और शिविरार्थियों को सान्निध्य देते रहे । उनकी अनुकम्पा ने प्रवचन की शृङ्खला को रसमय बनाने में योगदान किया है, उसके लिए मैं तोष की अनुभूति कर रहा हूं ।
युवाचार्य महाप्रज्ञ
छापली (मेवाड़) १८ नवम्बर, १९८२
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