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________________ जागरूकता हम साधना में प्रवेश कर रहे हैं। हम सदा यह याचना करते हैं कि हम अन्धकार से प्रकाश में जाएं, अज्ञान से ज्ञान की ओर जाएं, नश्वर से शाश्वत की ओर जाएं, मृत्यु से अमरमत्व की ओर जाएं । प्रकाश की साधना के लिए सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण सूत्र है-जागरूकता। जो व्यक्ति जागरूक नहीं होता, वह प्रकाश में प्रवेश नहीं पा सकता । नींद में रहने वाला और मूर्छा में रहने वाला व्यक्ति प्रकाश की साधना नहीं कर सकता। जागरूकता सफलता का सूत्र है । हम जागरूक बनें । प्रश्न होता है किसके प्रति जागरूक बनें ? अपने प्रति या दूसरों के प्रति ? आदमी दूसरों के प्रति जागरूक होता है। दूसरा आदमी क्या करता है इसके प्रति वह सजग रहता है । आदमी का दृष्टिकोण ही ऐसा बन गया कि वह दूसरों को देखना पसन्द करता है । दृष्टि सदा बाहर की ओर जाती है । आदमी का मस्तिष्क ऑब्जेक्टिव बन गया है । वह सदा ऑब्जेक्ट की ओर जाता है, कर्म की ओर जाता है । ___ व्याकरण में दो मुख्य कारक हैं—कर्ता और कर्म । कर्ता स्वतंत्र होता है और कर्म कर्ता के अधीन होता है। पर आज कर्ता परतन्त्र बन गया है और कर्म स्वतंत्र हो गया है। मनुष्य का ध्यान कर्म की ओर अधिक जाता है। इसका परिणाम यह हुआ कि उसकी चेतना प्रतिक्रियात्मक बन गई। आदमी क्रियात्मक चेतना का जीवन नहीं जीता। वह प्रतिक्रियात्मक चेतना का जीवन जीता है । कोई प्रशंसा करता है तब वह राजी हो जाता है। कोई गाली देता है, निन्दा करता है, तब वह नाराज हो जाता है। मन के अनुकूल कोई घटना सामने आती है, आदमी प्रसन्न हो जाता है। मन के प्रतिकूल कुछ घटित होता है, आदमी अप्रसन्न हो जाता है । सारा जीवन प्रतिक्रियात्मक बन गया है । इसीलिए परिवार में जीने वाला व्यक्ति भी परिवार के सदस्यों के साथ परस्पर संगति नहीं कर पाता, फलत: पारिवारिक संघर्ष होते हैं। जहां पांच-दस आदमी साथ रहते हैं वहां पारस्परिक संगति के बिना शांति नहीं रह सकती । भिन्न रुचि, भिन्न आचार और व्यवहार, भिन्न विचार-ये सब प्रतिक्रिया पैदा करते हैं। यह सच है कि सबकी रुचि, आचार और विचार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003058
Book TitleEkla Chalo Re
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size14 MB
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