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हाथी टिचकारी से हांकते हैं ?
वनस्थली विद्या-पीठ, राजस्थान का प्रसिद्ध शिक्षा-संस्थान है । २००६ के जयपुर चातुर्मास के बाद आचार्यप्रवर ढूंडा यात्रा पर पधारे। भाईजी महाराज ने दिल्ली चातुर्मास सम्पन्न कर जयपुर में आचार्यवर के दर्शन किये। भाईजी महाराज को सवाई माधोपुर यात्रा में साथ रखा गया। पिछली बार डेढ़ वर्ष पहले भाईजी महाराज ने ढूंढाड़-यात्रा की थी। हर श्रद्धा के क्षेत्र को संभाला था। गांवगांव के जमींदारों में खूब काम किया था। इस इलाके में कोई पांच सौ से अधिक नयी गुरुधारणाएं करवायी थीं। आज यात्रा के बीच आचार्यप्रवर वनस्थली पधारे ।
वनस्थली विद्यापीठ के प्रिंसिपल श्री प्रवीणचंद जैन ने आचार्यप्रवर का हार्दिक स्वागत किया। शांति निकेतन में गुरुदेव का प्रवचन हुआ। दिन-भर स्थानीय शैक्षणिक कार्यक्रमों का अवलोकन चला। दूसरे दिन प्रातः विहार से पूर्व राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री हीरालालजी शास्त्री तथा गृहमंत्री प्रेमनारायणजी माथुर पहुंचे । आधा घंटा आचार्यप्रवर से वार्तालाप हुआ । विहार में लगभग आधा-मील दोनों मंत्री साथ-साथ पैदल चले। जब वे लौट रहे थे, श्री भाईजी महाराज ने फरमाया
'शास्त्रीजी ! अबकी बार आपने यह क्या किया? आचार्यश्री जयपुर पधारे और आप बिना सोचे विरोधी-स्वर में मिल गये।
शास्त्रीजी जोबनेरी बोली मैं बोले-अजी! बाबाजी! आपने कांई केहवां म्हे तो जोबनेर की रोही में ऊंठ चराया छा ऊंठ । (महाराज ! आपसे क्या कहूं हमने तो जोबनरे के जंगलों में ऊंट चराये हैं) और भाईजी महाराज ने तपाक से कहाशास्त्रीजी!
'हाथी के हांक्यां करै, ऊंटां ज्यूं टिचकार । (आ) जाण एक गिवार भी (\) कियां चलाओ सरकार ?'
२५६ आसीस
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