________________
पत्र संख्या ३७
नागपुर २०२७ मिगसर कृष्णाह
दोहा माजी ! म्हे महाराष्ट्र मै, पायो सुखे प्रवेश । सरकारी सम्मान स्यूं, स्वागत विधि सुविशेष ॥१॥ गण-गौरव गरिमा गहन, अतिशय धर आचार्य। सावचेत श्रावक सुघड़, कर्यो कठिनतर कार्य ॥२॥ रोज रायपुर मै रह्यो, रोलो सीता-राम। गुंडां रे हाथां गरक, तपग्यो शहर तमाम ॥३॥
रोया घणाज रोवणां, धेख्यां पोखण धेख। कृत नहिं करणै रा कर्या, दंग रह्या सब देख ॥४॥
नाच मोरियो पग निरख, नीर झरै भर नैण । पिछतावै पापी पछ, कवियां री आ कैण ॥५॥
परतख परख्यो पारखू, शासण रो सौभाग । तुलसी फौलादी पुरुष, 'चम्पक' चैन-चिराग ।।६।।
माजी ! थारी महर स्यूं, लागी लीला लहर। जय गूंज जावां जठे, आनन्द आ पहर ॥७॥ संगीना सह संतरी, पुलिस जवान ससेन । अफसर फटफटिया लियां, आगे-लारै भेन ॥८॥
पद्यात्मक पत्र १८१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org