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ठोकर वाली ठोर, ठहर-ठहर कर ठीकसर । चालै चतुर चकोर, संयम-साधक साधकां !।४३॥
ठीमर, ठट्ठा-ठोल, ठाकर जो ठणक्या करै। डूमां वाला डोल, सांपड़तैइ साधकां!।४४॥
ठोल्या खावै ठांव', ठंडो जल ठार, ठरै। नीलम पावै नांव, साण चढ्यां स्यूं साधकां! ४५।।
डाबर-डाबर' डोल, हंस ! हंसाई क्यूं करे ? कियो निभाओ कोल, स्थिरता साधो साधकां!॥४६॥
डटकर एकण ठोड़, करणो-मरणो मांडद्यो। निश्चय, बडो निचोड़, संयम-रुचि रो साधकां!!४७॥
डगमग डांवांडोल, नाव पार कद नीसर? आस्था ही अनमोल, साध्य सिद्धि मै साधकां!।४८॥
ढील दियां बे-ढाल, गोचां खा गुड़क किनो'। साहर्या शिखरां न्हाल, साधो मननै साधकां!।४६॥
ढ़को न अपणा दोष, पड़ो न पड़पंच पारक। सूखो स्याही चोस, सदा सिखावै साधकां!।५०॥
ढिगलां-ढ़िगलां ढाक, अण गिणती रा आकड़ा। श्वेत ढाक अरु आक, साधक, विरला साधकां!॥५१॥
तेज तरुणिमा तोल, आकर्षण चावो अगर । (तो) मूल-बंध रो मोल, समझो, साधो साधकां!॥५२॥
१. मिट्टी का बरतन । २. छोटी तलाई। ३. पतंग। ४. गुदा चक्र को ऊपर खींचने वाली योगक्रिया।
साधक-शतक १११
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