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उदयपुर चा० सं० . अग्रगण्य नाम (दी० ऋ०) गांव ठाणा सहयोगी मुनि १९८५ मुनिश्री बिरधीचंदजी (३८२) बागोर ३ भागचन्दजी (लुहारी)
हाथीमलजी (बडू) १९८६ साध्वीश्री लिछमांजी (६३७) मोमासर १९८७ मुनिश्री नथमलजी (३२८) रीछेड़ ३ किसनलालजी (सुजानगढ़)
चंपालालजी (गोगुन्दा) १९८८ साध्वीश्री सोहनांजी (७६६) राजनगर १६८६ मुनिश्री ऋषिरामजी (३७२) सिसाय ३ लच्छीरामजी (सिसाय)
चिरंजीलालजी (मोठ) १९६० साध्वीश्री ज्ञानांजी (७६५) पितास १९६१ , रतनांजी (६२४) सुजानगढ़ १९९२ आचार्यश्री कालूरामजी
संत ३२ साध्वीश्री झमकूजी
आदि ३२ १६६३ सोध्वीश्री चांदकंवरजी (७६०) भीनासर १६६४ मुनिश्री चंपालालजी (३४४) राजनगर ५ चुन्नीलालजी, (राजनगर)
छोगमलजी, दुलीचंदजी
केशरीमलजी (पचपदरा) १६६५ साध्वीश्री चूनांजी (८१६) बीदासर १९९६ मुनिश्री सक्तमलजी (३२२) पुर
३ जीवणमलजी (डूंगरगढ़)
फोजमलजी (गढ़बोर) १९९७ साध्वीश्री छगनांजी (७३५) बोरावड़ १९९८ , हुलासांजी (७०८) सरदारशहर ५ १९६६ साध्वीश्री मूलांजी (७४०) दिवेर २००० मुनिश्री धनराजजी (४४०) सिरसा ३ नेमचंदजी, झूमरमलजी
(श्रीडूंगरगढ़) २००१ , रंगलालजी (३३९) राजाजी का करेड़ा ४ सोहनलालजी (श्रीडूंगरगढ़)
फोजमलजी (गढ़वोर)
मगनमलजी (राजलदेसर) २००२ साध्वीश्री निजरकवरजी (७८१) बास २००३ मुनिश्री चम्पालालजी (४३१) बीदासर ३ संचियालालजी (श्रीडूंगरगढ़)
मांगीलालजी (वावलास) १. साध्वी-प्रमूखा कानकंवरजी वृद्धावस्था के कारण राजलदेसर में स्थिरवास कर रही थीं।
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