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________________ लाडनूं ३५१ १६ १८ चा० सं० अग्रगण्य नाम (दी० ऋ०) गांव ठाणा सहयोगी मुनि १९७६ साध्वीश्री जड़ावांजी (५६२) चाडवास १९७७ , मीरांजी (५५३) सिरसा १९७८ , मघूजी (५६३) रीड़ी १९७६ , अभांजी (५२५) सरदारशहर १९८० , पेफांजी (६२५) कांकरोली १९८१ , भत्तूजी (६८४) बीदासर १९८२ मुनिश्री गुलाबचंदजी (३५२) चितामा , साध्वीश्री चान्दाजी (६७३) सरदारशहर १७ १९८३ , गुलाबांजी (५३८) , १७ १९८४ , विरदांजी (७०७) रतनगढ़ १९८५ , हुलासांजी (६८०) राजलदेसर १७ १९८६ आचार्यश्री कालूगणी छापर संत २७ साध्वी-प्रमुखा कानकंवरजी आदि ५७ । -१९८७ साध्वीश्री मालूजी (७०६) सरदारशहर २१ १९८८ , हीरांजी (६२०) नोहर १९८६ , फूलांजी (७३२) तारानगर :१९९० हुलासांजी (७०८) सरदारशहर :१६६१ विरदांजी (५७७) बोरज १९६२ सोहनांजी (७६९) राजनगर १९६३ , मनोहरांजी (६७६) भिवानी १९९४ , दाखांजी (६५३) खरणोटा १९९५ मुनिश्री हेमराजजी (३७४) आतमा , साध्वीश्री बघूजी (६६४) पचपदरा २२ १९६६ , कुन्नणांजी (७२४) सरदारशहर २० १९९७ आचार्यश्री तुलसीगणी लाडनूं संत ३३ साध्वी-प्रमुखा झमकजी आदि ६२ । १. इस वर्ष वृद्ध साध्वियों की सेवा में साध्वीश्री केशरजी (६२६) 'रीणी' का सिंघाड़ा था। २. अमोलकचंदची (राजलदेसर), जंवरीमलजी (बीदासर), हजारीमलजी (सरदार शहर), चंपालालजी (पड़िहारा)। ३. इस वर्ष वृद्ध साध्वियों की सेवा में साध्वीश्री सुन्दरजी (६८३) 'तारानगर' का सिंघाड़ा था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003055
Book TitleTerapanth Pavas Pravas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavratnamalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1986
Total Pages542
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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