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प्रकृति एवं विकृति
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• आनंद केन्द्र पर हरे रंग का ध्यान-हृदय परिवर्तन के लिए सहज आसन का चयन, आंखें कोमलता से बंद, अनुभव करे चारों ओर पन्ने की भांति चमकते हुए हरे रंग के परमाणु फैले हुए हैं। वे परमाणु प्रत्येक श्वास के साथ शरीर के भीतर प्रवेश कर रहे हैं। चित्त को आनन्द केन्द्र (हृदय का स्थान) पर केन्द्रित करें। वहां पर चमकते हुए हरे रंग का ध्यान करें। कुछ समय तक यथास्थिति का अनुभव करें। अब अनुभव करें आनन्द केन्द्र से हरे रंग के परमाणु निकलकर शरीर के चारों ओर फैल रहे हैं। पूरा आभामण्डल हरे रंग के परमाणुओं से भर रहा है। अब अनुभव करें भावधारा निर्मल हो रही है-३। दो-तीन लंबे गहरे श्वास के साथ प्रयोग सम्पन्न करें। मंत्र का प्रयोग ॐ-इसका जप लयबद्ध उच्चारण के साथ करें। उच्चारण के समय सम्पूर्ण मस्तिष्क पर ध्यान केन्द्रित हो। वहां पर होने वाले प्रकंपनों को महसूस करें। तीन मिनट से ५ मिनट तक प्रयोग कर सकते हैं। परिणाम-मानसिक स्वास्थ्य। आसन-प्राणायाम मत्स्यासन-पद्मासन की स्थिति में बैठें। लेटने की मुद्रा में आने के लिए हाथों की कोहनी को धीरे-धीरे पीछे ले जाएं। पीठ पीछे झकेगी। कुहनियों के सहारे शरीर को टिकाते हुए लेटने की मुद्रा में आ जाएं, हाथों की हथेलियां कंधों के पास स्थापित कर पीठ और गर्दन को ऊपर उठाएं। मस्तक का मध्य भाग सटा रहेगा। हाथ वहां से उठाएं । बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा पकड़े और दाएं हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़े। कमर का हिस्सा भूमि से ऊपर रहेगा और
आंख खुली रहेगी। श्वास-प्रश्वास दीर्घ एवं गहरा रखें। प्रारंभ में एक मिनट तक प्रयोग करें। फिर प्रति सप्ताह एक-एक मिनट बढ़ा सकते हैं। लाभ-प्राण शक्ति विकसित होती है एवं मन की शुद्धि होती है।
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