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________________ १५२ जो सहता है, वही रहता है १. शारीरिक परिवर्तन २. विरोधी संवेग का जागरण ३. यथार्थ दृष्टिकोण ४. आवेश के कारणों का निवारण मनुष्य के शरीर में दो नियंत्रण प्रणालियाँ हैं१. रासायनिक नियंत्रण प्रणाली २. विद्युत नियंत्रण प्रणाली रासायनिक नियंत्रण प्रणाली स्वतः चालित है। अंतःस्रावी ग्रंथियाँ उसे संचालित करती हैं। अंतःस्रावी ग्रंथियों का नियमन लिम्बिक सिस्टम के हाइपोथेलेमस से होता है। हम प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों द्वारा हाइपोथेलेमस या भावधारा को प्रभावित कर सकें तो संवेग नियंत्रण की साधना आगे बढ़ सकती है। विद्युत नियंत्रण प्रणाली स्नायु संस्थान की विद्युत शक्ति द्वारा शरीर को नियंत्रित करती है। उसे बुद्धि से अल्प मात्रा में और भावना से अधिक मात्रा में प्रभावित किया जा सकता है। अध्यात्म, योग और ध्यान की पद्धति का समुचित प्रशिक्षण संवेग नियंत्रण और संवेग संतुलन की दिशा में काफी मददगार साबित हो सकता है। अनासक्ति स्वस्थ समाज रचना की जीवनशैली का तीसरा आधार है-अनासक्ति। आधुनिक अर्थशास्त्र ने आसक्ति की चेतना को बहुत उभारा है। उससे भूख की समस्या का समाधान तो हुआ है, किन्तु आर्थिक अपराधों में भारी वृद्धि हुई है। अमीरों की अमीरी अधिक बढ़ी है, लेकिन उसी अनुपात में गरीबों को उतनी सुविधाएँ नहीं मिली हैं। आसक्ति को कम करने का ध्रुव सिद्धान्त है-धन साधन है, साध्य नहीं। यह जीवन यात्रा को चलाने का एक माध्यम है। उसके लिए चेतना के शेष आयामों की उपेक्षा करना समाज को कमजोर बनाने की कोशिश करना है। अनासक्ति का जीवन में अवतरण सरल कार्य नहीं है, उसके लिए प्रशिक्षण और प्रयोग जरूरी हैं। जीवनशैली की त्रिपदी संयम, समता और अनासक्ति, यह स्वस्थ जीवनशैली की त्रिपदी है। स्वस्थ जीवनशैली से ही स्वस्थ समाज की रचना का कार्य पूर्ण हो सकता है। अहिंसा और शांति इस जीवनशैली के फलित हैं। हम फलित को प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन जीवनशैली को बदलना नहीं चाहते। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003054
Book TitleJo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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