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व्यक्ति बजपंजर का निर्माण कर लेता है, तो फिर चाहे भूत आए, पिशाच आए या राक्षस आए, कोई भी उसे भेद कर प्रवेश नहीं कर सकता। कार्यकर्त्ता को भी सहिष्णुता का वज्रपंजर बनाना जरूरी है। जब तक कार्यकर्त्ता सहनशील नहीं होगा, वह धैर्य और शांति का परिचय नहीं दे पाएगा।
धुनिक युग को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख व्यक्तियों में एक
आ हैं चार्ल्स डार्विन । उन्होंने विकासवाद का सिद्धान्त प्रस्तुत
किया। प्रश्न है, इस दुनिया का विकास कैसे हुआ ? दो सिद्धान्त हैं, उत्पत्तिवाद और विकासवाद । इस दुनिया की उत्पत्ति और विकास। इस दुनिया की उत्पत्ति कैसे हुई ? इस संदर्भ में अनेक दार्शनिकों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए, किन्तु उन सब में आज वैज्ञानिक दृष्टि से चार्ल्स डार्विन मुख्य माने जाते हैं । डार्विन का विकासवाद का सिद्धान्त है - जींस विकास करते-करते यहाँ तक पहुँचे हैं और वे ही जातियाँ प्रजातियाँ बची हैं, जो खुद को जीवित रखने में सक्षम हुई हैं। जो शक्तिहीन होता है, वह समाप्त हो जाता है, यह विकासवाद की मुख्य अवधारणा है ।
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