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________________ ७४ अपना दर्पणः अपना बिम्ब शरीर की समस्याएं और कायोत्सर्ग कायोत्सर्ग का मूल तत्व है शरीर । शरीर में समस्याएं क्यों आती हैं? उसका एक कारण है-मांसपेशियों में अकड़न आ जाना । दूसरा कारण है-रक्त -संचार प्रणाली में अवरोध आ जाना । जब धमनियां कठोर बन जाती हैं, रास्ते सिकुड़ जाते हैं तब शरीर में समस्या पैदा हो जाती है । इन सारी प्रणालियों में अवरोध न आए, मांसपेशियां न अकड़ पाएं तो शरीर समस्या से आक्रांत नहीं बनता । कायोत्सर्ग इन सारी समस्याओं का समाधान है । कायोत्सर्ग का परिणाम है-देह-जड़ता की शुद्धि । जो भी अकड़न, ऐंठन और कठोरता है, उसको समाप्त करने का शक्तिशाली प्रयोग है कायोत्सर्ग । कायोत्सर्गः तीन स्थितियां कायोत्सर्ग की तीन स्थितियां मानी गई हैं। वह लेटकर भी किया जा सकता है, खड़े होकर या बैठकर भी किया जा सकता है। इस संदर्भ में अलग अलग निर्देश हैं-जो तरुण और बलवान् है, उसे खड़े-खड़े कायोत्सर्ग करना चाहिए । जो तरुण है और निर्बल है, उसे बैठकर या लेटकर कायोत्सर्ग करना चाहिए । जो स्थविर है और निर्बल है, वह लेटकर भी कायोत्सर्ग कर सकता है । मूल बात है शक्ति और सामर्थ्य की । भगवान् महावीर ने कहा-किसी भी व्यक्ति को शक्ति का गोपन नहीं करना चाहिए। महावीर के पुरुषार्थवाद का यह प्रसिद्ध सूत्र है-णो णीहेज्ज वीरियं-शक्ति का गोपन मत करो। देहशुद्धि का प्रयोग कायोत्सर्ग देह-शुद्धि का महत्त्वपूर्ण प्रयोग है । जो व्यक्ति बैचेनी से मुक्त, शांतिपूर्ण, निर्मल मति, निर्मल प्रतिभा और निर्मल मन से परिपूर्ण जीवन जीना चाहता है, उसके लिए सबसे पहला कार्य है देहशुद्धि पर ध्यान देना। बुढ़ापा और बीमारी- दोनों क्यों आते हैं? इसका कारण है देहशुद्धि का न होना । जब तक शरीर में मल-मूत्र का विसर्जन करने वाला तंत्र मजबूत रहेगा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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