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प्रतिक्रिया विरति कोई जरूरी नहीं था । गुस्सा क्यों आया? व्यक्ति आवेश में क्यों चला गया? हम इसे इस भाषा में समझें। दवाई ली और रिएक्शन हो गया । इसका अर्थ है-प्रतिक्रिया हो गई। बहुत बार ऐसी घटनाएं होती हैं - व्यक्ति ने एक दवा की गोली ली और जीवन समाप्त हो गया । लोग पूछते हैं-कैसे मर गया? जवान आदमी था । पच्चीस वर्ष का युवा था । अकस्मात् यह कैसे हुआ? कहा गया सामान्य बुखार था । डाक्टर ने इंजेक्शन दिया । उसका रिएक्शन हुआ और प्राणान्त हो गया । यह प्रतिक्रिया बहुत खतरनाक होती है। किसी ने दो शब्द मीठे कह दिए, आदमी फूल गया । किसी ने थोड़ी- सी कड़वी बात कह दी, आदमी गुस्से से भर गया ।
प्रतिक्रिया का मतलब है-कठपुतली होना । कठपुतली होने का अर्थ है-दूसरों के हाथ का खिलौना बन जाना । प्रतिक्रिया का अर्थ भी यही है-दूसरे के हाथ का खिलौना बन जाना । दूसरा जैसे नचाए, वैसे नाचना। ऐसा जीवन अच्छा नहीं होता । स्वतंत्र वह हो सकता है, जो अपने ढंग से जीए, दूसरे के हाथ का यंत्र, खिलौना या कठपुतली न बने। यह तब संभव है जब हम प्रतिक्रिया-विरति का अभ्यास करें। जीवन-दर्शन का महत्त्वपूर्ण सूत्र है-प्रतिक्रिया से विरत हो जाना । एक समीकरण
प्रेक्षाध्यान की उपसंपदा के दो सूत्र हैं-प्रतिक्रिया-विरति और मैत्री। ये दोनों जुड़े हुए हैं। यदि क्रिया की प्रतिक्रिया उद्दीपन के साथ हुई है, उत्तेजना पूर्ण हुई है तो उसकी निष्पत्ति होगी-शत्रुता । यदि क्रिया की प्रतिक्रिया शांति के साथ हुई है तो उसकी परिणति होगी-मित्रता । ___मनोविज्ञान ने प्रतिक्रिया को आंतरिक और बाह्य व्यक्तित्व का समायोजन माना है । एक है बाहर का जीवन और एक है भीतर का जीवन । उद्दीपनों के कारण भीतर में कोई प्रज्वलन होता है तो एक आदमी बाहर में उसे समझदारी से समायोजित कर लेता है और दूसरा समायोजित नहीं कर पाता। जहां कषाय की प्रबलता है, क्रोध, अहंकार, कपट-ये सारे प्रबल हैं, वहां
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