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________________ भावक्रिया जिस काम में चेतना और क्रिया का अद्वैत होता है, उसका नाम है भाव। चेतना और क्रिया एक ही दिशा में चले, दोनों का समरसी भाव हो जाए, तब भावक्रिया होती है । चेतना अलग दिशा में जा रही है और क्रिया अलग दिशा में जा रही है, इसका नाम है द्रव्यक्रिया । सफलता का सूत्र सफलता का सूत्र क्या है? और असफलता का सूत्र क्या है? इस प्रश्न का उत्तर इस भाषा में भी दिया जा सकता है-सफलता का सूत्र है भावक्रिया और असफलता का सूत्र है-द्रव्यक्रिया । साफल्यस्य रहस्यं किं, ज्ञातुमिच्छामि संप्रति । भावः साफल्यसूत्रं स्यात्, द्रव्यं वैफल्यकारणम् ।। भाव है चेतना और क्रिया का योग होना । द्रव्य है चेतना और क्रिया का वियोग होना । पैर आगे बढता है और चेतना पीछे रह जाती है, इसका अर्थ है असफलता । सफलता तभी मिल सकती है, पैर आगे बढे तो चेतना भी साथ-साथ आगे बढे । केवल शरीर न चले । शरीर चले तो साथ-साथ चेतना भी चले । केवल वाणी न बोले । वाणी बोले तो साथ-साथ चेतना भी बोले। केवल कान न सुने, कान के साथ-साथ चेतना भी सुने । बहुत बार ऐसा होता है कि कोरा कान सुनता है । एक ओर व्यक्ति सुनता जाता है, दूसरी ओर उसका ध्यान और कहीं अटका रहता है । यह असफलता का बहुत बड़ा हेतु है । इस स्थिति में अवग्रह हो जाएगा, ईहा, अवाय और धारणा नहीं होगी । स्मृति की बात तो संभव ही कहां होगी? इसीलिए कहा जाता है-जो काम अनमना होकर किया जाता है, वह सफल नहीं होता । जिस कार्य में मन नहीं लगा, मन नहीं जुड़ा, वह कार्य सफल कैसे होगा? भावक्रिया है प्राणवान क्रिया सफलता का सूत्र है भावक्रिया । यही प्रेक्षाध्यान की उपसंपदा का पहला सूत्र है । भावक्रिया का मतलब है प्राणवान् क्रिया और द्रव्यक्रिया का मतलब Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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