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________________ २२० अपना दर्पणः अपना बिम्ब जिसमें मांस कम होता है, उसमें सहन करने की शक्ति भी कम होती है। जो मेदसार होता है, उसमें सर्दी-गर्मी एवं भूख-प्यास को सहन करने की शक्ति ज्यादा होती है। जिसमें मेद-चर्बी कम होती है, उसमें इनको सहने की शक्ति बहुत कम होती है। यह एक समाधान है-जिसमें मांस कम है, मेद-चर्बी कम है, वह कमजोर और असहिष्णु होता है। असहिष्णुता का एक कारण है-मांस और चर्बी का कम होना। इस स्थिति में हम क्या सहन करें? किसको सहन करें? जब तक यह स्पष्ट नहीं होगा तब तक सहिष्णुता की बात करने की कितनी सार्थकता होगी ? कुछ बातें नियति से जुड़ी हुई हैं । मांस या चर्बी का मिलना नियति के हाथ में है। मांस और चर्बी न मिले तो व्यक्ति क्या करे? वह सहिष्णु कैसे बने? व्यक्ति कितना ही संकल्प करे, कायोत्सर्ग में सुझाव दे, अनुप्रेक्षा का प्रयोग करे किन्तु यदि मांस और चर्बी नहीं है तो वह इन सब द्वन्द्वों को सहन कैसे करेगा? यह एक जटिल प्रश्न है। असहिष्णुता : एक पहलू ___ एक आदमी उपवास करता है। क्या वह उपवास में अनाहार रहता है? प्रकृति कभी अनाहार नहीं रहती। व्यक्ति बाहर से नहीं खाएगा तो वह बाहर से अनाहार हो गया किंतु अग्नि अपना काम करेगी। अग्नि का काम है-खाना और वह खाएगी। बाहर से मिलेगा तो उसे काम में लेगी। बाहर से नहीं मिलेगा तो मांस और मेद को काम में लेगी। मांस और मेद पर्याप्त है तो थकान कम होगी, सहन करने की शक्ति बनी रहेगी। यदि मांस और मेद कम है तो व्यक्ति थक जाएगा, वह भूख और प्यास से आकुल-व्याकुल हो उठेगा। उसकी सहिष्णुता की शक्ति कमजोर हो जाएगी। सहिष्णुता का संबंध है शरीर की रचना के साथ, शरीर के तत्त्वों और धातुओं के साथ। यह प्रकृति या नियति के हाथ में है। असहिष्णुता : दूसरा पहलू इस प्रश्न का दूसरा पहलू भी है। ऐसे लोग भी होते हैं, जिनमें मांस की प्रचुरता है, मेद की प्रचुरता है किन्तु उन्हें कुछ भी बात कह दी जाए तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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