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________________ अभय की अनुप्रेक्षा २११ से नहीं डरता, वह अपनी पत्नी से डरता है। ऐसी अनेक घटनाएं जीवन के परिपार्श्व में चलती रहती हैं। छिपा हुआ है भय एक लड़की ने अपने पापा से कहा - आप वनविभाग में काम करते हैं। क्या आपको जंगल में डर नहीं लगता? उसके पिता ने जवाब दिया - नहीं ! क्या जंगली जानवर से भी डर नहीं लगता ? नहीं ! क्या शेर से भी डर नहीं लगता ? नहीं! लड़की ने कहा - पिताजी ! मैं समझ गई । आप और किसी से नहीं डरते, केवल मम्मी से डरते हैं। कौन आदमी किससे डरता है, यह कहा नहीं जा सकता। मन के कोने में कहीं न कहीं भय छिपा हुआ बैठा है। उसकी अभिव्यक्ति व्यक्ति या वस्तुसापेक्ष हो सकती है। भय कषाय नहीं है प्रश्न है-भय क्या है? कर्मशास्त्रीय भाषा में कहा जा सकता है-भय कोई कषाय नहीं है। कषाय चार हैं-क्रोध, मान, माया और लोभ । भय नोकषाय है। वह कषाय का उपजीवी है। कषाय के कंधे पर बैठकर अपना जीवन चला रहा है। व्यक्ति क्रोध करता है, किसी को गालियां दे देता है, किसी पर हाथ उठा लेता है। जब क्रोध का नशा उतरता है, व्यक्ति सोचता है-अब क्या होगा? क्रोध का परिणाम क्या होगा? उसके मन में एक भय पैदा हो जाता है। व्यक्ति में अहंकार जागा। उसने अहं के आवेग में किसी को नीचा दिखा दिया। आवेश शांत होता है, व्यक्ति सोचता है-पता नहीं, वह क्या करेगा? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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