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________________ २०४ अपना दर्पणः अपना बिम्ब करेंगे, अशरण की भावना अपने आप पकड़ में आ जाएगी। जरूरत है धैर्य की। जब तक हम अपने आपको भावना से भावित नहीं कर लेते तब तक परिवर्तन की बात संभव नहीं बन पाती । एकत्व अनुप्रेक्षा अध्यात्म का एक नियम है-एकत्व अनुप्रेक्षा । — मैं अकेला हूं' इस सचाई से जो व्यक्ति अपने आपको भावित कर लेता है, उसे कोई दुःखी नहीं बना सकता । जब तक हम परिवार, समाज और समूह को आना मानकर जीते रहेंगे तब तक थोड़ा सा भी वियोग दुःख का कारण बन जाएगा। नैश्चयिक राचाई है-मैं अकेला हूं। संबंधों का जीवन व्यावहारिक सचाई है। जो इन दोनों सचाइयों को जान लेता है, वह सही अर्थ में आध्यात्मिक व्यक्ति है। ऐसा व्यक्ति किसी भी घटना के घटित होने पर अपने आपको संभाल कर रख सकता है। इस दुनिया में एक भी आदमी ऐसा नहीं है, जिसने सुख और दुःख का वियोग न झेला हो। जो व्यक्ति एकत्व अनुप्रेक्षा को साथ लेता है, वह संयोग-वियोग के चक्र में रहता हुआ भी सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन जीना सीख लेता है। ___ अध्यात्म के दो महत्त्वपूर्ण नियम हैं-एकत्व अनुप्रेक्षा और अनित्य अनुप्रेक्षा! हम इनसे अपने आपको भावित करें। जैसे जैसे हम इनसे भावित होंगे, हमारी चेतना का रूपान्तरण होगा, दुःख की स्थिति में अदुःखी बने रहने का मार्ग उपलब्ध हो जाएगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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