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________________ लेश्या और रंग १७५ के भीतर कोई संघर्ष नहीं रहेगा, भीतर में कोई चूल्हा नहीं जलेगा। भीतर लाय जले, चूल्हा जलता रहे तो समस्या पैदा होती है। अगर भीतर में आग न जले तो समस्या पैदा नहीं होगी। यदि व्यक्ति अपने मन को स्वस्थ, शान्त एवं संतुलित रखना चाहता है, अपनी भावनाओं को अनुशासित रखना चाहता है तो उसके लिए लेश्या ध्यान या रंग ध्यान का प्रयोग बहुत महत्त्वपूर्ण है। बाहरी शत्रु : भीतरी शत्रु ___एक व्यक्ति ने कहा, मुझे गुस्सा बहुत आता है, मैं इससे बहुत परेशान हूं। वस्तुतः आदमी अपने आप से परेशान है। एक शत्रु होता है बाहर का और एक शत्रु होता है भीतर का । यह भीतर का शत्रु बहुत परेशानी पैदा करता है। हम इन भीतरी परेशानियों को कम करें, भीतर का सारा वातावरण वातानुकूलित हो जायेगा। जब भीतर वातानुकूलन की स्थिति बन जाएगी तब बाहरी प्रभाव कहां से आएगा? बाहरी प्रभाव को रोकने के लिए मकान को एयरकंडीशंड बनाया जाता है। लोग उसे वातानुकूलित बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर देते हैं। मकान को ठंडा करने के लिए व्यक्ति इतना खर्च करता है पर दिमाग को ठंडा रखने के लिए कोई खर्च नहीं करेगा। हम गहराई से सोचे-मकान को ठंडा रखना अधिक जरूरी है या दिमाग को ठंडा रखना? वातानुकूलन का विज्ञान एक भाई ने कहा, मैंने अभी नए ऑफिस के निर्माण में चालीस-पचास लाख रुपए लगा दिए। मैंने पूछा-एक आफिस के निर्माण में इतना व्यय? उस भाई ने जवाब दिया-उसे एयरकंडीशंड बनाने में ही तीन-चार लाख रुपए खर्च हो गए । मैंने पूछा-दिमाग को एयरकंडीशंड बनाने के लिए भी कुछ खर्च करते हो? उसके पास इस प्रश्न का कोई जबाब नहीं था । व्यक्ति इस बारे में सोचता ही नहीं है। वह बाहरी वातावरण या मकान को समशीतोष्ण करना चाहता है पर भीतर में जो आग जल रही है, उसे शांत करने की कोई चिन्ता नहीं करता, उस दिशा में प्रयत्न भी नहीं करता। . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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