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________________ लेश्या और रंग १७३ सधेगा । नमस्कार महामंत्र को संख्या के आधार पर गिनने की बात का उतना मूल्य नहीं है, जितना मूल्य इस बात का है कि जप किस ढंग से किया जा रहा है। हम संख्या पर न अटकें। जितना करें, इतने इच्छे ढंग से करें कि मन उसमें पूरी तरह नियोजित हो जाए। खाना खाया और स्वाद नहीं आया तो क्या खाना खाया? जप किया, ध्यान किया और आनंद नहीं आया तो जप करने का क्या अर्थ रहा? जप करें तो यह लगना चाहिए - मन बहुत शान्त रहा, भावना बहुत पवित्र रही। यदि ऐसा नहीं लगता है तो मानना चाहिए- जप में कहीं कमी है। सम्यग् विधि और एकाग्रता के साथ किया गया जप कभी निष्फल नहीं होता । उससे व्यक्ति में यह अनुभूति जागती है - मेरा विकास हो रहा है, शान्ति और पवित्रता का स्रोत प्रस्फुटित हो रहा है। कठिन है संतुलन जीवन की एक व्याख्या की जा रही है-स्ट्रगल इज लाइफ- संघर्ष ही जीवन है। यह विकास की परिभाषा है - जीवन एक संग्राम है, युद्ध है। उसमें लड़ना है, संघर्ष करना है और संघर्ष करके आगे बढ़ना है। आज समाज में कितनी टकराहट चल रही है। एक दूसरे की टांग खींचना, एक दूसरे को पछाड़ना - यह केकड़ावृत्ति समाज में कितनी चल रही है। इस केकड़ावृत्ति की अवस्था में आदमी को आगे बढ़ना है, अपना विकास करना है। इस स्थिति में शांति और संतुलन को बनाए रखना कितना कठिन होता है। संतुलन का जीवन जीना आसान बात नहीं है। मित्र की मुसीबत एक दिन एक व्यक्ति बहुत परेशान लग रहा था । मित्र ने पूछा- क्या बात है ? आज इतने परेशान क्यों हो? उसने कहा मैं -- Jain Education International बहुत मुसीबत में फंस गया हूं ? मित्र बोला - तुम्हारे क्या मुसीबत हो सकती है? तुम्हारे दोनों लड़के सम्पन्न हैं । खूब धन कमा रहे हैं । तुम्हें किस बात की कमी है? For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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