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________________ १३४ अपना दर्पणः अपना बिम्ब से अभ्यास शुरू करें, निरन्तर लक्षीकृत केन्द्र को देखते-देखते गहन एकाग्रता के बिन्दु पर पहुंच जाएं। ध्यान अथवा समाधि की स्थिति का अनुभव करें। इस पद्धति से प्रत्येक चैतन्य केन्द्र को निर्मल बनाएं । इनकी निर्मलता से विशिष्ट प्रकार की शक्तियां जागृत होती हैं। निष्पत्ति जागरण की ___ शक्ति केन्द्र की निर्मलता से वाक्सिद्धि, कवित्व और आरोग्य का विकास होता है। ___ स्वास्थ्य केन्द्र की निर्मलता से अचेतन मन पर नियंत्रण करने की क्षमता पैदा होती है । आरोग्य और ऐश्वर्य का विकास होता है। तैजस केन्द्र के निर्मल होने पर क्रोध आदि वृत्तियों के साक्षात्कार की क्षमता पैदा होती है । प्राणशक्ति की प्रबलता भी प्राप्त होती है। आनन्द केन्द्र की निर्मलता द्वारा बुढ़ापे की व्यथा को कम किया जा सकता है, विचार का प्रवाह रुक जाता है, सहज आनन्द की अनुभूति होती विशुद्धि केन्द्र की सक्रियता से वृत्तियों के परिष्कार की क्षमता पैदा होती है। बुढ़ापे को रोकने की क्षमता पैदा करना भी इसका एक महत्वपूर्ण कार्य ब्रह्म केन्द्र की निर्मलता द्वारा कामवृत्ति के नियंत्रण की क्षमता प्राप्त होती प्राण केन्द्र की निर्मलता द्वारा निर्विचार अवस्था प्राप्त होती है। अप्रमाद केन्द्र की साधना से नशे की आदत को बदला जा सकता है। शराब, तम्बाकू आदि मादक वस्तुओं के सेवन की आदत को बदलना एक जटिल समस्या है । अप्रमाद केन्द्र की प्रेक्षा करते-करते उस आदत में परिवर्तन शुरू होता है और कुछ दिनों के अभ्यास से परिवर्तन स्थिर हो जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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