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________________ शक्ति जागरण का प्रयोग प्रत्येक व्यक्ति शक्ति की इकाई है, किन्तु समस्या है शक्ति की अभिव्यक्ति की। कुछ लोग अपनी शक्ति के विषय में अनजान रहते हैं। कुछ लोग उसके विषय में जानते हैं पर उसको जागृत करने के लिए अभ्यास नहीं करते। कुछ लोग जानते भी हैं, अभ्यास भी करते हैं, उनकी शक्ति प्रकट भी हो जाती है। अज्ञानी और प्रमत्त आदमी की शक्ति का स्रोत प्रस्फुटित नहीं होता। ज्ञानी और अप्रमत्त मनुष्य ही उसे प्रकट कर सकता है। चैतन्य केन्द्र हमारे शरीर में अनेक शक्तिकेन्द्र हैं तंत्रशास्त्र और हठयोग में वे चक्र कहलाते हैं। आयुर्वेद में उन्हें मर्मस्थान कहा जाता है। प्रेक्षा-ध्यान की पद्धति में उनका नाम चैतन्य केन्द्र है। ये केन्द्र सुप्त अवस्था में रहते हैं इसलिए शक्ति होने पर भी उसका पता नहीं चलता। जागृत शक्ति ही मनुष्य के लिए उपयोगी बनती है। प्रेक्षा-ध्यान की पद्धति में प्रधानतया तेरह चैतन्य केन्द्रों की साधना की जाती है। वे चैतन्य केन्द्र ये हैं(१) शक्ति केन्द्र (८) अप्रमाद केन्द्र (२) स्वास्थ्य केन्द्र (६) चाक्षुष केन्द्र (३) तैजस केन्द्र (१०) दर्शन केन्द्र (४) आनन्द केन्द्र (११) ज्योति केन्द्र (५) विशुद्धि केन्द्र (१२) शान्ति केन्द्र (६) ब्रह्म केन्द्र (१३) ज्ञान केन्द्र । (७) प्राण केन्द Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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