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________________ जैन साहित्य में अतीन्द्रिय चेतना के स्रोत १२३ शरीर में अवधिज्ञान के अनेक क्षेत्र हैं, अनेक संस्थान हैं। ये संस्थान ही चक्र या चैतन्य केन्द्र हैं । चक्र सिद्धान्त का मौलिक आधार श्वेताम्बर साहित्य में चक्र सिद्धांत का मौलिक आधार है देशावधिज्ञान। प्रज्ञापना में अवधिज्ञान के दो प्रकार उपलब्ध हैं-देशावधि और सर्वावधि। नंदी में देशावधि, सर्वावधि का उल्लेख नहीं है, केवल परमावधि का उल्लेख मिलता है। गोमटसार में अवधिज्ञान के तीन प्रकार मिलते हैं-देशावधि, परमावधि और सर्वावधि। नंदी में अवधिज्ञान के छह प्रकार किये गए हैं, उनमें पहला प्रकार आनुगामिक है । उसके दो प्रकार हैं-अन्तगत और मध्यगत। यह विषय अन्य किसी भी उपलब्ध आगम में नहीं है। प्रतीत होता है कि देवर्द्धिगणी ने यह पूरा प्रकरण ज्ञानप्रवाद पूर्व से लिया था। इस दृष्टि से नन्दी सूत्र का मुख्य आधार ज्ञानप्रवाद पूर्व हो सकता है। स्थानांग, समवायांग, भगवती आदि इसके आधार नहीं हो सकते । ज्ञानप्रवाद चौदह पूर्वो में पांचवां पूर्व है। उसकी विशाल ग्रन्थ राशि में केवल ज्ञान का ही निरूपण है।" षड्खंडागम, पुस्तक ६३, पृ० २६६ धवलाः खेत्तदो ताव अणेयसंठाणसंठिदा ।।५७।। जहा कायाणमिदियाणं च पडिणियदं संठाणं तहा ओहिणाणस्स ण होदि, किंतु ओहिणाणावरणीय-खओवसमगदजीवपदेसाणं करणीभूदसरीरपदेसा अणेगसंठाणसठिदा होति। प्रज्ञापना ३३३३ । नन्दी सूत्र, १८, गा०२। गोमटसार जीवकाण्ड, गा० ३७३ : भवपच्चइगो ओही, देसोही होदि परमसव्वोही। गुणपच्चइगो णियमा, देसोही वि य गुणे होदि।। ६. नन्दी सूत्र ६। १०. नन्दी सूत्र १० । ११. नन्दी, चूर्णि पृ० ७५: पंचमं णाणप्पवादं ति, तम्मि मतिणाणाइपंचकस्स सप्रभेदं परूवणा जम्हा कता तम्हा णाणप्पवादं । तम्मि पदपरिमाणं एका पदकोडी एगपदूणा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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