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महावीर की सभा में एक व्यक्ति गया । समवसरण के दरवाजे पर पहुंच कर भी वह भीतर प्रवेश नहीं कर सका, वहां से भाग खड़ा हुआ । हितोपदेश को सुनने की योग्यता उसी में हो सकती है, जिसमें बंधन की स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है । जिसके राग-द्वेष थोड़े मन्द हुए हैं, उसके मन में हितोपदेश सुनने की बात आती है । वह हितोपदेश है वीतरागता की चर्चा | उसे सुन कर सदा प्रियता और अप्रियता में रहने वाला व्यक्ति एक नये प्रकाश का अनुभव करता है । उस हितोपदेश के नव प्रकाश से उसका जीवन और चिंतन आलोक से जगमगा उठता है ।
हितोपदेश
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