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साधना कर रहा हूं । मैं अहंकार को शांत करने की साधना कर रहा हूं । माया और लोभ को मिटाने की साधना कर रहा हूं। फिर उसे ध्यान आएगामैं कलह से मुक्त होने की साधना कर रहा हूं । . शल्य मुक्ति की साधना कर रहा हूं । साधना के इस सुन्दर सूत्र का नाम ही सामायिक है ।
आवश्यक है अर्थ बोध
बहुत सारे लोग सामायिक करते हैं, किन्तु इस ओर ध्यान नहीं देते कि वे क्या कर रहे हैं। जब कुछ करते हैं तब यह पता तो होना ही चाहिए कि क्या कर रहे हैं ? अगर इस पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो उस तोते की सी स्थिति होगी, जो अफीम के डोंडे पर चोंच मारता हुआ कहे जा रहा था - अफीम खाना मना है । क्योकि उसने मात्र सीखा था, रटा था, अर्थ नहीं जान सका था !
सामायिक करते समय सामायिक के अर्थ को विस्मृत नहीं करना चाहिए । सामायिक की साधना बहुत पवित्र साधना है । अठारह पापों से मुक्त होने की, उनसे दूर होने की साधना है । जो व्यक्ति अड़तालीस मिनट तक प्रतिदिन कई बार इसका अभ्यास करता है, उसका प्रभाव उसके जीवन पर पड़े बिना नहीं रहेगा । भोजन करने में दस-बारह मिनट का समय ही लगता है, फिर भी उसका प्रभाव चार-पांच घण्टे तक रहता है, भूख नहीं लगती । जिसका अड़तालीस मिनट तक अभ्यास किया, क्या उसका प्रभाव बारह घण्टे भी नहीं रहेगा । सामायिक एक सुदृढ आलम्बन है । जो इसका सहारा लेता है, वह काफी बुराइयों से बच जाता है ।
ऐसा न्यायाधीश : ऐसा पुत्र
ब्रिटिश शासक हेनरी चतुर्थ चतुर और न्यायी शासक था । एक बार सम्राट् के पुत्र ने कोई अपराध किया। मामला न्यायालय तक गया । न्यायाधीश ए ने मामले की गंभीरता को पहचाना और हेनरी के पुत्र को कारावास का दण्ड सुना दिया । सम्राट् के पास यह समाचार पहुंचा । सम्राट् तत्काल हाथ जोड़कर 1 बोला- प्रभो ! मैं धन्य हूं, मुझे ऐसा न्यायाधीश मिला, जो न्याय करना जानता
जैन धर्म के साधना सूत्र
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