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शुभाशंसा
आचार जीवन की अमूल्य सम्पदा होती है। हर आदमी को उससे सम्पन्न होना चाहिए। साधु को तो विशेष रूप से आचार के प्रति निष्ठावान होना चाहिए। साध्वाचार की जानकारी साधुओं और गृहस्थों दोनों को होनी चाहिए, यह महती अपेक्षा है। ___मुनि रजनीशकुमारजी एक कर्मठ संत हैं। वे सेवा-धर्म की आराधना में भी संलग्न हैं। उसके साथ-साथ ज्ञानाराधना भी कर रहे हैं। उनके द्वारा प्रस्तुत की गई ‘साध्वाचार के सूत्र' पुस्तक उपयोगी है, श्रावक समाज के लिए विशेषतया पठनीय है। इससे पाठकों का ज्ञान वृद्धिंगत व पुष्ट हो सकेगा। मंगलकामना।
आचार्य महाश्रमण
अणुविभा केन्द्र, जयपुर ११ जुलाई २००८
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