________________
१३६
साध्वाचार के सूत्र
एकत्रित हो जाता हैं, कुछ पानी
थोड़ा-बहुत कच्चा पानी नीचे के बर्तन वहां बिखर जाता है। गृहस्थ मटकी में चूना आदि मिला कर पानी पक्का कर लेते हैं किन्तु नीचे रखे हुए बर्तन के कच्चे पानी के कारण वह सारा पानी असूझता रहता है ।
प्रश्न ७. असूझता होने से बचने का क्या उपाय है ?
उत्तर- इसके लिए केवल एक बात ध्यान में रखने की हैं कि मटकी का पानी पहले पक्का किया हुआ हो या अन्य किसी बर्तन में किया हुआ पक्का पानी छाने तो इससे बचा जा सकता है।
प्रश्न ८. बिना देखे चलने से व बहराने के लिए बर्तन, वस्तु आदि बिना देखे आगे पीछे करने से चींटी आदि की हिंसा हो जाए तो क्या घर असूझता हो जाता है ?
उत्तर - हां, यदि मुनि लेने के लिए तत्पर हो जाए तो असूझता हो जाता हैं । इसलिए सम्यक् प्रकार से देखे बिना चलना नहीं चाहिए व कोई भी वस्तु बिना प्रमार्जन किये सरकाना अथवा लाना नहीं चाहिए।
प्रश्न ६. असूझता होने के कारण कौन-कौने-से है ?
उत्तर - असूझता होने के कुछ विधान इस प्रकार हैं- कच्चा नमक, कच्चा पानी, अग्नि तथा हरियाली को छूने मात्र से असूझता हो जाता है। बहराते समय चींटी, मक्खी आदि जीव की हिंसा होने पर असूझता होता है। हवा के स्पर्श से असूझता नहीं होता पर फूंक देने या ऊपर से गिराते- गिराते बहराने से असूझता होता है ।
प्रश्न १०. घर असूझता किन-किन कारणों से होता है ?
।
उत्तर- बहराते समय फूंक मार दे, कपड़ों में कांटा हो या सचित्त वस्तु से लिप्त हो या ऊंचे से गिराता हुआ देता हो तो उसका घर असूझता हो जाता है। गोचरी में कोई सचित्त वस्तु बहरा देने पर । जैसे फल फ्रूट आदि बिना उबले हो या उसमें बीज या छिलका आ जाये तो वह घर असूझता हो जाता है ।
साधु-साध्वी बहर रहे हो उस समय दूध आदि में फूंक देने पर । बहराते समय सचित्त हरियाली पानी आदि का संघट्टा होने पर ।
प्रश्न ११. ऊंचे से गिराते- गिराते पानी - गौचरी आदि बहराने से घर असूझता
क्यों हो जाता हैं ?
उत्तर - ओघे (रजोहरण) की डांडी जितनी ऊंचाई से अधिक ऊपर से मूंग के दाने
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org