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महाप्रज्ञ-दर्शन
आभामण्डल भी विशुद्ध होगा । भावमण्डल मलिन होगा तो आभामण्डल भी मलिन होगा, धब्बों वाला होगा। यह काले रंग का होगा, विकृत होगा, अंधकारमय होगा। सारे चमकीले वर्ण समाप्त हो जायेंगे। भावधारा को, परिणाम धारा को बदल कर आभामण्डल को बदल सकते हैं ।
लेश्या के सिद्धांत में बताया गया है कि कृष्ण-लेश्या नील- लेश्या के भावों को प्राप्त कर नील- लेश्या में बदल जाती है । नील-लेश्या कापोत- लेश्या के भावों को प्राप्त कर कापोत- लेश्या में बदल जाती है। इसी प्रकार कापोत- लेश्या तेजोलेश्या में तेजोलेश्या पद्म-लेश्या में और पद्म लेश्या शुक्ल-लेश्या में बदल जाती है।
हम लेश्याओं का परिवर्तन कर अपनी वृत्तियों को बदल सकते हैं, उनका संशोधन कर सकते हैं। इस प्रक्रिया से हम काम केन्द्र का भी शोधन कर सकते हैं । उसे ऐसा निर्मल बना सकते हैं कि वहां काम और क्रोध की वृत्तियां आयें पर जाग न पाएं, सक्रिय न बन पाएं। वह इतना निर्मल बन जायेगा कि वृत्तियां उभरेंगी ही नहीं ।
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पीतवर्णध्यानेन स्मृतिवृद्धिः
धारणा शक्ति कमजोर हो तो मस्तिष्क में पीले रंग का ध्यान कीजिए ।
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श्वासे वर्ण-रस-गंध-स्पर्शा आभामण्डलः
हमारे रंग श्वास के साथ जुड़े हुए हैं। हम श्वास लेते हैं। हमें पता नहीं है कि गृहीत श्वास में कौनसा रंग है। हमारा श्वास कभी काले रंग का होता है, कभी हरे रंग का होता है, कभी सफेद रंग का होता है । सब रंगों का होता है श्वास | हम जो श्वास लेते हैं वह कभी खट्टा होता है, कभी मीठा होता है, कभी उसमें तीखापन होता है। बाहर में जितने रस हैं, हमारे श्वास में भी वे रस हैं। कभी हमारा श्वास सुगन्ध से भरा होता है और कभी हमारा श्वास दुर्गन्ध से भरा होता है । कभी हमारा श्वास मृदु स्पर्श से भरा होता है और कभी हमारा ' श्वास कठोर स्पर्श का होता है। ये सारी बातें श्वास के साथ जुड़ी हुई हैं। इन सारे पुद्गलों से सम्बन्धित है आभामण्डल । इन सबके आधार पर देखें श्वास कैसे लिया? और सूक्ष्मता में जायें, विश्लेषण करें - रविवार का श्वास कैसा होगा? रविवार को हम सूर्य की कास्मिक रेज़ ले रहे हैं, सोमवार को हम चन्द्रमा की कास्मिक रेज़ ले रहे हैं। इन सबके साथ ग्रहों का संबंध है । ज्योतिष में कहा जाता है कि ग्रहों का प्रभाव होता है। ग्रह सीधा प्रभाव नहीं डालते । भाव मन पर प्रभाव डालते है, शरीर पर प्रभाव डालते हैं ।
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