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महाप्रज्ञ-दर्शन मनुष्य ने कपड़ा बनाना शुरू किया । पहला कपड़ा रूई से बना। उसका प्रणयन भी वनस्पति जगत पर आधृत था।
खाने की पूर्ति का स्रोत भी वनस्पति जगत् था। उसकी प्राप्ति के लिए मनुष्य ने कृषि-खेती करना प्रारंभ किया।
___ दो प्रकार की भूख मानी जाती है-प्राकृतिक भूख और कृत्रिम भूख । प्राकृतिक भूख सहज लगने वाली भूख है। भस्मक रोग को कृत्रिम भूख माना जाता है। जो व्यक्ति भस्मक रोग से ग्रस्त होता है, उसकी भूख दिन में सौ-सौ रोटियां खाने पर भी नहीं मिटती। उस कृत्रिम भूख-भस्मक व्याधि का कभी अंत नहीं आता। यह व्यक्ति एवं समाज के लिए समस्या बन जाती है।
अर्थशास्त्र का सूत्र है-इच्छा को बढ़ाते चले जाओ। आज इस गलत सूत्र के परिणाम स्वरूप हिंसा बढ़ रही है, पर्यावरण का संतुलन विनष्ट हो रहा है। आवश्यकता की पूर्ति करना जरूरी है, इस बात को उचित माना जा सकता है। किंतु आवश्यकताओं को पैदा करना और उनकी पूर्ति करते चले जाना युक्तिसंगत नहीं है। आवश्यकता की उत्पत्ति और उसकी पूर्ति का एक चक्र है। उस चक्र का कहीं अन्त नहीं होता।
हम जब तक इन्द्रिय जगत् में रहते हैं, तब तक हमारी धारणाएं चार्वाक की धारणाएं बनी रहती हैं-हमे लेना देना नहीं है, मजे में रहना है, जो चाहे करें, उसी में जीवन का सार है। किंतु जब हम सूक्ष्म सत्यों को जानते हैं, हमारी धारणाएं बदल जाती हैं, हमारा दायरा बड़ा हो जाता है। व्यक्ति का जीवन बदल जाता है। वह सोचता है-इस दुनिया में दूसरे भी हैं, मैं अकेला ही नहीं हूं, इसलिए मुझे संयम करना चाहिए।
प्रत्येक व्यक्ति के पास इन्द्रियातीत चेतना है। हम उसे प्रातिभ ज्ञान कहें या प्रज्ञा कहें, वह प्रत्येक मनुष्य के पास है। जरूरत है-सूक्ष्म नियमों को जानने की, एकाग्र होने की और इन्द्रियों से कम काम लेने की।
आज आदमी स्वयं में सुन्दर नहीं रहा। वह कपड़े सुन्दर पहनना चाहता है। पर स्वयं सुन्दर नहीं है। वह अपने आप में सजा हुआ नहीं है, पर अपने आपको सजाना चाहता है।
क्रोध को कम करने के लिए ज्योति-केन्द्र पर ध्यान करवाया जाता है। नशा छुड़ाने के लिए अप्रमाद केन्द्र पर ध्यान करवाया जाता है। भयवृत्ति को कम करने के लिए आनन्द केन्द्र पर ध्यान करवाया जाता है। लोभ की वृत्ति को मिटाने के लिए किस केन्द्र पर ध्यान करवाना चाहिए ? मैंने कहा-इस विषय में मैं स्वयं उलझन में हूं | अन्य वृत्तियों को बदलने के सूत्र तो हाथ लग गये हैं, पर लोभ की वृत्ति को बदलने का सूत्र अभी पकड़ में नहीं आया है।
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