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महाप्रज्ञ-दर्शन
मैं अपरिग्रह अणुव्रत की सुरक्षा के लिए उक्त सीमाओं और नियमों के अतिक्रमण से बचता रहूंगा।
अपरिग्रह पर जैन परम्परा में अहिंसा के समान ही विशेष बल दिया गया है। अपरिग्रह अणुव्रत के अन्तर्गत सभी प्रकार के परिग्रहों की सीमा बांधने का विधान है-जिनमें क्षेत्र, वास्तु, हिरण्य, सुवर्ण, धन, दासी, दास, धातुएं, शय्यासन
और दूसरे सभी पदार्थ शामिल हैं। भोगोपभोग-परिमाण व्रत
भोगोपभोग परिमाण व्रत के अन्तर्गत ऐसे सब पदार्थों की एक लम्बी सूची दी गई है जिनका परिमाण गृहस्थ से अपेक्षित माना जाता है। वह सूची इस प्रकार है१. उल्लणिया विधि-अंगोछे का परिमाण । २. दन्तवन विधि-दतौन का परिमाण । ३. अभ्यंगण विधि-तेल-मर्दन का परिमाण । ४. फल-विधि-स्नान के लिए काम में लिये जाने वाले आंवले आदि का
परिमाण। ५. उद्वर्तन विधि-उबटन (पिट्ठी) का परिमाण । ६. मज्जन विधि-स्नान-जल का परिमाण । ७. वस्त्र विधि-वस्त्र का परिमाण । ८. विलेपन विधि-चंदन आदि के विलेपन का परिमाण । ६. पुष्प विधि-पुष्प या पुष्पमाला का परिमाण । १०. आभरण विधि-आभूषण का परिमाण। ११. धूपन विधि-अगरबत्ती आदि जलाने का परिमाण । १२. भोजन विधि-खाद्य पदार्थों का परिमाण । जैसे• पेय विधि-पेय द्रव्यों का परिमाण ।
भक्ष्य विधि-मिठाई एवं नमकीन आदि का परिमाण । ओदन विधि-चावल आदि अन्न का परिमाण । सूप विधि-दालों का परिमाण। घृत विधि-घृत, तेल आदि स्नेह का परिमाण ।
शाक विधि-पालक आदि शाक का परिमाण । . मधुर विधि-आम आदि फलों तथा मेवा का परिमाण । .. तेमन विधि-दही-बड़े आदि का परिमाण ।
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