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द्वितीय अध्याय मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में लेश्या
चेतना के विविध स्तर मूल प्रवृत्तियां और संज्ञाएं मनोवृत्तियों की प्रशस्तता/अप्रशस्तता कषाय (संवेग) की विविध परिणतियां लेश्या : स्थूल और सूक्ष्म चेतना का सम्पर्क-सूत्र अचेतन मन के स्तर पर कर्मबन्ध बिना भाव बदले मन नहीं बदलता अध्यवसाय, लेश्या और परिणाम
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