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आशीर्वचन
व्यक्तित्व की व्याख्या का महत्वपूर्ण सूत्र है लेश्या, भावधारा, आभामण्डल। जो बाहर से दीख रहा है, उसकी भीतर के साथ संवादिता है अथवा नहीं, उसकी कसौटी है लेश्या। प्रेक्षाध्यान की पद्धति में लेश्या का प्रायोगिक रूप लेश्या-ध्यान के रूप में उपलब्ध है। यह ध्यान मानसिक और भावात्मक समस्या सुलझाने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है, शारीरिक समस्या को सुलझाने के लिए भी कम मूल्यवान नहीं है। लेश्या के बिना मनोविज्ञान का
और मनोविज्ञान के बिना लेश्या का अध्ययन परिपूर्ण नहीं होता। इन दोनों का समन्वित अध्ययन कर डॉ. शान्ता जैन ने शोधपूर्ण महाप्रबंध लिखकर अनुसंधित्सु वर्ग के सम्मुख एक नया विषय प्रस्तुत किया है।
आचार्य महाप्रज्ञ
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