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जैन साधना पद्धति में ध्यान
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4. सुख-दुःख तितिक्षा - सुख-दुःख को सहने की क्षमता बढ़ती है। 5. अनुप्रेक्षा - अनुचिन्तन के लिए स्थिरता प्राप्त होती है। 6. ध्यान - मन की एकाग्रता सधती है।'
अनुयोगद्वार में कायोत्सर्ग को व्रण चिकित्सा कहा है। साधना में सतत जागरूकता के बाद भी प्रमादवश जो दोष लग जाते हैं, उन दोष रूप घावों की चिकित्सा के लिये कायोत्सर्ग का प्रावधान महत्त्वपूर्ण है। संयमी जीवन को परिष्कृत करने के लिए, प्रायश्चित्त करने के लिए, अपने आपको विशुद्ध करने के लिए, आत्मा को माया, मिथ्यात्व और निदानशल्य से मुक्त करने के लिए, पापकर्मों के निर्घात के लिए कायोत्सर्ग किया जाता है।
शरीर शास्त्रीय दृष्टि से कायोत्सर्ग प्राण ऊर्जा का संचय करता है । इसके द्वारा ऐच्छिक संचलनों का संयमन होता है। आगम प्रेरणा देते हैं कि साधक हाथों का संयम, पैरों का संयम, वाणी का संयम तथा इन्द्रियों का संयम करें। जिसमें प्राण ऊर्जा को संग्रहीत कर उसे चेतना से ऊध्वारोहण में लगा सके।
प्रवृत्तिप्रधान, उत्तेजित और सक्रिय जीवन शैली परानुकम्पी संस्थान को अपना कार्य करने का मौका ही नहीं देती। फलतः शरीर की मांसपेशियां और स्नायु सहज, शिथिल व शांत अवस्था क्वचित ही प्राप्त कर सकते हैं। ___ कायोत्सर्ग द्वारा उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, नाड़ी तंत्रीय अस्त-व्यस्तता, पाचन तंत्रीय वर्ण, अनिद्रा, तनावजनित रोगों की रोकथाम एवं उपचार किया जा सकता है। तनाव-जनित बीमारियों का कारण है तनाव की निरन्तरता एवं तीव्रता। तनाव विकल्पों के लिए ऊर्वरा भूमि है। मानसिक तनाव, स्नायविक तनाव, भावनात्मक तनाव इनको मिटाना, इनकी ग्रंथियों को खोल देना कायोत्सर्ग का कार्य है।
विलफ्रिड नार्थफिल्ड का कहना है कि तनावग्रस्त व्यक्ति को यह विश्वास दिलाना सबसे कठिन कार्य है कि मांसपेशियों को शिथिल करने से स्वतः ही मन शांत हो जाता है।
आज मनोवैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि बायोफीडबैक और शिथिलीकरण प्रशिक्षण द्वारा दबाव एवं तनाव को नियन्त्रित किया जा सकता है। इस प्रशिक्षण में व्यक्ति अपनी शारीरिक अवस्थाओं की जानकारी प्राप्त करता है और उसके बाद उन्हें स्वतः सूचन द्वारा बदलने की चेष्टा करता है।
विज्ञान के क्षेत्र में हुई खोजों से इस प्रकार के उपकरण उपलब्ध करवा दिये हैं जिसके द्वारा शरीर में घटित होने वाली घटनाओं को ग्राफ या ध्वनि के माध्यम से प्रत्यक्षतः देखा
1. आवश्यक नियुक्ति 1462; 2. अनुयोगद्वार 74 (नवसुत्ताणि, भाग-5, पृ. 15) 3. आवश्यक सूत्र 5/3 (नवसुत्ताणि, भाग-5, पृ. 15); 4. दसवैकालिक 10/15 5. Wilfrid Northfield, How to relax, p. 21 6. Ernest R Hilgard, Introduction to Psychology, p. 435
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