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________________ २६ अध्यात्म का प्रथम सोपान : सामायिक आपके मन में सुख-दुःख का कोई भाव नहीं है, बाहर की घटना का कोई प्रभाव नहीं है । यदि पांच मिनट तक मन खाली रह सकता हो, कोई विकल्प न आता हो तो बाहर में कुछ भी घटित क्यों न हो, आप पर उसका असर नहीं होगा । यह स्थिति होगी निरोध की कि इधर से किवाड़ बन्द कर दिया, उधर क्या हो रहा है, कुछ भी पता नहीं चलेगा। कुंभक में यह स्थिति घटित होती है । आप कुंभक के द्वारा या बिना कुंभक किए ही, अभ्यास के द्वारा मन को खाली कर दें, शून्य कर दें । आप चलते हुए भी ऐसा कर सकते हैं | मन को खाली कर आप कहीं भी जाएं, वहां क्या हो रहा है, उसका भान नहीं होगा। सामायिक की साधना शान्ति और मानसिक सन्तुलन की साधना है, यह कषाय-मुक्ति की साधना है | सामायिक की सिद्धि के लिए आप इन उपायों को स्मृति में रखें-शरीर का शिथिलीकरण करें, मन को खाली करें । यह बार-बार करें । दिन में कई बार करें। ऐसा करने पर सामायिक समाधि या सामायिक के द्वारा समाधि या सामायिक में समाधि क्या होती है, यह आप अपने ज्ञात हो जाएगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003047
Book TitleSamayik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages198
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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