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________________ 4 श्रमण महावीर' - प्राचीनतम प्रमाणों के आधार पर प्रस्तुत भगवान् महावीर का यह जीवन-चरित अपने-आप में एक महत्वपूर्ण आयाम है। अन्धकार में छिपे स्रोतों का यह विमोचन आह्लादक- ही नहीं, अनेक नये तथ्यों को उद्घाटित करता है । उन्मुक्त विचारक अमर मुनि के शब्दों में "यह भगवान् महावीर का प्रथम मानवीय चित्रण है ।" आगम, निर्युक्ति, भाष्य, चूर्णि और टीकाओं के प्रच्छन्न भू-गर्भों में छिपे बीजों का यह वृक्ष-रूप में पल्लवन एक साहसिक कदम है, जो कहीं रोष उत्पन्न कर सकता है और कहीं तोष। यह व्यक्ति की अपनी-अपनी मनःस्थिति का द्योतक होगा। लेखक अपने दृष्टिकोण से चला है और परम्पराओं से उन्मुक्त होकर चला है। उसने भगवान् महावीर के अन्तःस्तल को अत्यन्त सूक्ष्म रेखाओं में उपस्थित किया है, जो एक कुशल शब्द-शिल्पी द्वारा ही संभव है । आचार्य तुलसी द्वारा प्रस्तुत ' भगवान् महावीर' चरित लघु और जनभोग्य है, वहां यह चरित विशाल और गहन है। दोनों एक-दूसरे की परिपूर्ति करते हुए चल रहे हैं । प्रकाशकीय भगवान् महावीर की पचीसवीं निर्वाण - शताब्दी के अवसर पर 'जैन विश्व भारती' द्वारा इस ग्रन्थ का प्रकाशन समीचीन ही नहीं, कर्त्तव्य रूप भी है । आशा है, मनीषी इस ग्रन्थ को गहरे पैठ कर अध्ययन करेंगे। दिल्ली अगस्त, १९७४ Jain Education International श्रीचन्द रामपुरिया निदेशक आगम और साहित्य प्रकाशन जैन विश्व भारती For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003046
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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