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________________ "क्षेमकीर्तिशाखाना शांतिहर्ष-जिनहर्ष सुखवर्धन अने श्रीदया"सिंह-अभयसिंहना शिष्य श्रीरूपचंद्र अपरनाम श्रीरामविजये, "श्रीजिनलाभसूरिना राज्ये जोधपुरमा रामसिंहना राज्यमा गौतमीय"महाकाव्य ११ सर्गमां (रचेल छे). * * * सं० १८१४ मां "उक्त ख० श्रीरामविजयगणिए, श्रीजिनलाभसूरिनी आज्ञाथी "गुणमाला-प्रकरण( नी रचना करी)". पृ० ६७५-६, पा० ९९३. व्याख्याकार श्रीक्षमाकल्याण : मूलकारना गंभीर आशयोने स्हमजावनारी प्रस्तुत काव्यग्रन्थनी १ श्रीअभयसिंहना शिष्य तरिकेनो आ निर्देश असंगत छे. गौतमीयकाव्यनी प्रशस्तिमां आ मुजब उल्लेख छे. 'तच्छिष्याः सुखवर्द्धना अपि दयासिंहास्तदीयास्तथा 'तच्छिष्योऽभयसिंहनामनृपतेर्लब्धप्रतिष्टो महा'गंभीराऽऽहतशास्त्रतत्त्वरसिकोऽहं रूपचंद्रायः 'प्रख्यातापरनामरामविजयो गच्छे स दत्ताख्यया ।' वळी गुणमाला प्रकरणमां पण आ मुजब स्पष्ट उल्लेख छः 'तच्छिष्यविदितदया दयादिसिंहाख्यवाचका विबुधाः 'तचरणरेणुरंजितमौलिरयं रामविजयाख्यः ।' आ बन्ने उल्लेखोथी आ वस्तु स्पष्ट थाय छे, के श्रीरूपचंद्रपाठक अपरनाम श्रीरामविजयपाठकना गुरुचें नाम श्रीदयासिंह छे. ज्यारे अभयसिंह, ए राजानुं नाम छे. अने ते राजा द्वाराये प्रस्तुत ग्रन्थकारे प्रतिष्ठाने प्राप्त करी छे. आ कारणे अत्र प्रस्तुत ग्रन्थनी प्रशस्तिमां ते राजाना नामनो निर्देश ग्रन्थकारे कर्यो छे. - २ आ गुणमाला प्रकरण ग्रन्थकार पाठक श्रीरूपचन्द्रगणि अपरनाम पाठकश्री रामविजयगणिये जेसलमेरमां आसो सुदि दशमीना दिवसे' रच्युं छे. श्रीपंचपरमेष्ठीना तेम ज श्रावकनागुणोनुं वर्णन आमां करवामां आव्युं छे. वि० सं० १९८०मां आ ग्रन्थ- प्रताकारे प्रकाशन थयुं छे, ग्रन्थ- श्लोकप्रमाण आशरे ३०००नुं छे, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003042
Book TitleGautamiya Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupchandra Gani, Kanakvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1940
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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