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(४५) तशे उपर साठ विशाल, सवि बिंब प्रणमुं त्रणकाल ॥ सात कोडने बोहोंतेर लाख ॥ जुवनपतिमां देवल नाख॥॥ एकसोएंशी बिंब प्रमाण, एक एक चैत्ये संख्या जाण ॥ तेरशे कोम नेव्याशी कोड, साठ लाख वंडं करजोड ॥ ७॥ बत्रीरों ने जंगणसाठ, तिर्गलोकमां चैत्यनो पाठ॥त्रण लाख एकाणु हजार, त्रणशे वीश ते बिंब जुहार ॥ए॥व्यंतर ज्योतिषिमां वली जेह, शाश्वता जिन वंडं तेद ॥ ऋषन चंशनन वारिषेण, वर्षमान नामे गुणसण ॥१०॥ समेतशिखर वं जिन वीश, अष्टापद वंडे चोवीश ॥ विमलाचल ने गढ गिरनार, आबु उपर जिनवर जुहार ॥ १२॥ शंखेश्वर केशरियो सार, तारंगे श्री अजित जुदार ॥ अंतरीक वरकाणो पास, जीरावलोने थंनण पास॥२॥गाम नगर पुर पा
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