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(४४) नामे मंगल कोड ॥ पहेले स्वर्गे लाख बत्रीश, जिनवर चैत्य नमुं निशदीश ॥१॥ बीजे लाख अहाविश कह्यां, बीजे बार लाख सदह्यां ॥ चोथे स्वर्गे अड लख धार, पांचमे वंडं लाखज चार ॥२॥
के स्वर्गे सहस पचास, सातमे चालिश सहस प्रासाद ॥ आठमे स्वर्गे उ हजार, नव दशमे वंडं शत चार ॥३॥ अग्यार बारमे त्रशें सार, नव ग्रैवेके त्र
शे अढार ॥ पांच अनुत्तर सर्वे मली, लाख चोराशी अधिकां वली ॥ ४ ॥ सदस सत्ताणु विश सार, जिनवर जुवन तणो अधिकार ॥ लांबां सो जोजन विस्तार, पचास उंचां बोहोंतेर धार ॥५॥ एकसो एंशी बिंब परिमाण, सनासहित एक चैत्ये जाण ॥सो कोड बावन कोड संनाल, लाख चोराणुं सदस चौंआल॥६॥ सा
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