________________
( ४१ )
प्र ढंढणकुमारो || सिरिज अणियाउत्तो, प्रमुत्तो नागदत्तो ॥ १ ॥ मे थूलिनदो, वयर रिसि नंदिसेण सीदगिरी ॥ कयवन्नो सुकोसल, पुंमरिज के सि करकं ॥ २ ॥ दल विदा सुदंसण, साल महासाल सालिनो ॥ जद्दो दसण्णनद्दो, पसन्नचंदो जसनो ॥ ३ ॥ जंवुपहु वंकचूलो, गयसुकुमालो अवंतिसुकुमालो ॥ धन्नो इलाइपुत्तो, चिलाइपुत्तो
बाहुमुखी ॥ ४ ॥ ग्रगिरि अरकिय, प्रमुदत्यी उदायगो मणगो ॥ कालयसूरि संबो, पन्नो मूलदेवो अ ॥ ५ ॥ पनवो विहुकुमारो द्दकुमारो दढप्पदारी | सिस कूरगडु, सिद्धनव मेदकुमारो ॥ ६ ॥ एमाइ महासत्ता, दिंतु सुदं गुणगणेदिं संजुत्ता ॥ जोसें नामग्गदणे, पावपबंधा विलय जंति
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org