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(२०) वयाणं, बारसविहस्स सावगधम्मस्स, जं खंडिअं जं विरादिशं तस्स मिबामि उकडं ॥ इति ॥
गुरु [२५] लघु [ १३० ] सर्ववर्ण [ १६७ ] ए॥ अथ अतिचारनी आठ गाथा ॥ नाणंमिदंसणंमि अ, चरणं मितवंमि तद य विरियंमि॥आयरणं आयारो,श्य एसो पंचदा नणि॥२॥ काले विणए बहुमाणे, नवदाणे तद अनिण्हवणे॥ वंजणअत्थतउनए, अविदो नाणमायारो ॥२॥ निस्संकि, निकंखिश्र, निवितिगिला अमूढदिही अ॥उववूद थिरीकरणे, वजन पनावणे अ॥३॥ पणिदाणजोगजुत्तो, पंचहिँ समिर्श तीहि गुत्तीहि ॥ एस चरित्तायारो, अविदो होइ नायबो ॥४॥ बारसविदंमिवि तवे, सब्जितरबादिरे कुसददिठे ॥ अगिलाइ अणाजीवी, नायवो
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